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राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, पारदर्शिता पर उठे सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आयोग सबूतों को नष्ट कर रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए घातक है। चुनाव आयोग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां राजनीतिक प्रेरणा से भरी हैं। इस विवाद ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, पारदर्शिता पर उठे सवाल

राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप

कांग्रेस के प्रमुख नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार (21 जून) को चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आयोग पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के बजाय सबूतों को नष्ट कर रहा है। राहुल ने यह भी कहा, “चुनाव आयोग जवाब देने के बजाय सबूत मिटा रहा है।” इस पर चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी की मांग पर सीसीटीवी फुटेज जारी करने की टिप्पणी "राजनीतिक प्रेरणा से भरी" है।


आयोग ने स्पष्ट किया कि इस तरह के फुटेज को सार्वजनिक करने का आग्रह राजनीतिक कारणों से हो सकता है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को परेशान करना या उनका प्रोफाइल बनाना है, विशेषकर उन मतदान केंद्रों पर जहां किसी पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा हो। यह टिप्पणी राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर "सबूतों को मिटाने" का आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद आई है, जब आयोग ने अधिकारियों को 45 दिनों के बाद सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को 'नष्ट' करने का निर्देश दिया था।


सोशल मीडिया पर उठाए सवाल

सोशल मीडिया पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, “मतदाता सूची? मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में नहीं देंगे। सीसीटीवी फुटेज? क़ानून बदलकर छुपा लिया गया। चुनाव की तस्वीरें और वीडियो? अब एक साल नहीं, 45 दिन में मिटा दिए जाएंगे। जिसे जवाब देना था, वही अब सबूत मिटा रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “यह साफ़ है कि मैच फिक्स है। और फिक्स चुनाव लोकतंत्र के लिए ज़हर है।”


चुनाव आयोग का विवादास्पद निर्देश

चुनाव आयोग का विवादास्पद निर्देश

राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया है जब चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि 45 दिनों के भीतर कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती, तो चुनावों से संबंधित सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग को 45 दिनों बाद नष्ट कर दिया जाए। इस फैसले ने आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं।


लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा

लोकतंत्र पर मंडरा रहा खतरा- नेता विपक्ष

राहुल गांधी ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि इस तरह के कदम लोकतंत्र के लिए घातक हैं। उनका मानना है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आयोग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान कदम इसके विपरीत हैं।