राहुल गांधी ने पार्टी में लंगड़े घोड़ों की तुलना कर नया विवाद खड़ा किया

राहुल का घोड़ों के माध्यम से नेताओं की तुलना
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की तुलना तीन प्रकार के घोड़ों से की, जिससे एक नई बहस शुरू हो गई है। उन्होंने नेताओं को चेतावनी दी कि उन्हें खुद तय करना होगा कि वे किस श्रेणी में आते हैं। इस तुलना ने पार्टी के भीतर असमंजस पैदा कर दिया है।
बीजेपी पर कांग्रेस के सवाल
जब बीजेपी ने 75 वर्ष की आयु को मार्गदर्शक मंडल के लिए तय किया था, तब कांग्रेस ने सबसे अधिक सवाल उठाए थे। राहुल ने इस बार उम्र की बात न करते हुए तेज, सुस्त और लंगड़े घोड़ों की बात की। उन्होंने कहा कि युवा घोड़े रेस में भाग लेते हैं, जबकि उम्रदराज घोड़ों को शादी में शामिल किया जाता है।
राहुल का इशारा और विवाद
राहुल ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों में विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नेताओं को घर बैठने की बात कही। हालांकि, राजनीति में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। कई वरिष्ठ नेता जैसे शीशराम ओला और प्रकाश सिंह बादल ने अपनी उम्र के बावजूद सक्रियता दिखाई है।
कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं
राहुल ने एक ऐसा मानदंड स्थापित किया है जिसका पार्टी के पास कोई जवाब नहीं है। राजनीति में अनुभवी नेताओं का महत्व होता है, लेकिन राहुल ने लंगड़े घोड़ों की बात कर नई बहस को जन्म दिया है। अब पार्टी में यह चर्चा हो रही है कि कौन से नेता तेज दौड़ने वाले हैं और कौन से लंगड़े।
कांग्रेस में उम्रदराज नेताओं की संख्या
राहुल की तुलना के बाद पार्टी में उम्रदराज नेताओं की लंबी सूची है। भोपाल सभा में कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ शामिल थे। राहुल की मां सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी उम्रदराज नेताओं में आते हैं।
युवा बनाम बुजुर्ग विवाद
युवा बनाम बुजुर्ग विवाद ने कांग्रेस को पिछले चुनावों में नुकसान पहुंचाया है। राहुल ने कई अनुभवी नेताओं को किनारे कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
जानकार नेताओं का राहुल से अलग होना
अनुभवी नेताओं ने राहुल की नीतियों से असहमत होकर अलग राह पकड़ी है। पी चिदंबरम और शशि थरूर जैसे नेताओं ने राहुल की रणनीतियों को चुनौती दी है।
कांग्रेस का विफल अभियान
कांग्रेस ने आपरेशन सिंदूर के तहत जय हिंद सभा का आयोजन किया था, लेकिन यह पूरी तरह से विफल रहा। बड़े नेता इस अभियान में शामिल नहीं हुए।
राहुल की राजनीति में निरंतरता
राहुल गांधी ने हाल ही में फिर से वही राजनीति की है जो उन्होंने 2019 में की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाए हैं, लेकिन उनकी रणनीतियों से पार्टी की चुनौतियां बढ़ सकती हैं।