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राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा पर लगाया मैच फिक्सिंग का आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव में 'मैच फिक्सिंग' की गई थी, जिससे भाजपा की जीत सुनिश्चित की गई। राहुल ने चुनाव प्रक्रिया में हेराफेरी और चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है। जानें उनके लेख में और क्या कहा गया है।
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राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा पर लगाया मैच फिक्सिंग का आरोप

राहुल गांधी का भाजपा पर आरोप

नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने नवंबर 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में 'मैच फिक्सिंग' की गई थी, जिससे भाजपा की जीत पहले से ही सुनिश्चित कर दी गई थी।


शनिवार को एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित अपने लेख में राहुल गांधी ने बताया कि भाजपा और उसके सहयोगियों ने चुनाव जीतने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे महाराष्ट्र में चुनाव में धांधली की गई, वैसे ही अगली बार यह बिहार या किसी अन्य राज्य में भी हो सकती है।


राहुल गांधी के लेख की मुख्य बातें

राहुल गांधी के लेख की 4 बड़ी बातें


(1) राहुल गांधी ने कहा कि यह समझना कठिन नहीं है कि भाजपा महाराष्ट्र में क्यों इतनी चिंतित थी। चुनाव प्रक्रिया में हेराफेरी करना किसी मैच फिक्सिंग के समान है। भले ही धोखा देने वाली टीम जीत जाए, लेकिन इससे लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास उठ जाता है। हर जागरूक भारतीय को इन तथ्यों को समझना चाहिए और सवाल उठाने चाहिए। चुनाव में गड़बड़ी करना लोकतंत्र को आंतरिक रूप से नुकसान पहुंचाने जैसा है।


(2) उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामूली चुनावी गड़बड़ी की बात नहीं कर रहे, बल्कि एक संगठित और बड़े स्तर के भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं, जिसमें देश की प्रमुख संस्थाओं को भी नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया।


(3) राहुल ने 2023 में भाजपा द्वारा लाए गए 'चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून' पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर असर पड़ा।


(4) उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मुख्य न्यायाधीश को हटाकर किसी कैबिनेट मंत्री को लाना सही है? यह सवाल अपने आप में एक बड़ा संकेत है कि कोई भी व्यक्ति निष्पक्ष अधिकारी को हटाकर अपने विश्वासपात्र को क्यों लाना चाहेगा।