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रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, क्या बनेगा नया वैश्विक समीकरण?

रूस ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे अफगानिस्तान को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक स्वीकार्यता मिल सकती है। यह निर्णय रूस की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। तालिबान ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया है। जानें इस फैसले के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, क्या बनेगा नया वैश्विक समीकरण?

रूस का ऐतिहासिक निर्णय

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में संकोच और असमंजस का माहौल बना हुआ है, लेकिन रूस ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने की घोषणा की है। इस निर्णय के साथ, रूस पहला ऐसा देश बन गया है जिसने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली 'इस्लामी अमीरात' सरकार को मान्यता दी है.


रूसी राजदूत की तालिबान से मुलाकात

रूसी संघ के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने काबुल में तालिबान के विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बैठक में झिरनोव ने अफगानिस्तान को सूचित किया कि रूस ने 'इस्लामी अमीरात' को मान्यता देने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से उनका परिचय पत्र भी प्राप्त कर लिया गया है, जो इस मान्यता की औपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा है.


रूस की नई कूटनीतिक दिशा

रूस का यह कदम उसकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। तालिबान को अब रूस ने अपनी गैरकानूनी संगठनों की सूची से हटा दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अफगानिस्तान के साथ नए राजनीतिक और आर्थिक संबंध स्थापित करना चाहता है। रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस मान्यता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और व्यापार को नई दिशा मिलेगी.


तालिबान का सकारात्मक स्वागत

तालिबान सरकार ने रूस के इस निर्णय का स्वागत किया है। विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इसे रूस और अफगानिस्तान के बीच विश्वास और सहयोग का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम अन्य देशों को भी तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए प्रेरित करेगा। तालिबान के विदेश मंत्रालय ने इसे 'एक सकारात्मक मिसाल' करार दिया है.


तालिबान की सत्ता में वापसी

यह ध्यान देने योग्य है कि अगस्त 2021 में अमेरिका की सेना की वापसी के बाद तालिबान ने फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। तब से अब तक किसी भी बड़े देश ने तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी थी। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे संगठन अब भी मान्यता देने से इनकार करते रहे हैं। रूस की इस पहल से अफगानिस्तान को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक स्वीकार्यता मिलने का रास्ता खुल सकता है, लेकिन यह कदम अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए समीकरण भी बना सकता है.