रूस ने भारत से कृषि और फार्मास्यूटिकल उत्पादों के आयात में वृद्धि का निर्णय लिया

रूस का भारत से आयात बढ़ाने का निर्णय
रूस ने भारत से कृषि और फार्मास्यूटिकल उत्पादों के आयात को बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% आयात शुल्क से भारत को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए उठाया गया है। यह जानकारी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वाल्डई अंतरराष्ट्रीय फोरम में साझा की, इससे पहले कि वे भारत यात्रा पर जाएं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर बैठक करें।
व्यापार असंतुलन को संतुलित करने की योजना
पुतिन ने बताया कि रूस भारत से अनाज, दालें, मसाले, प्रोसेस्ड फूड और दवाइयों का आयात बढ़ाकर व्यापार असंतुलन को संतुलित करने की योजना बना रहा है। उन्होंने रूसी अधिकारियों को निर्देश दिया कि भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए ठोस कदम और प्रस्ताव तैयार किए जाएं।
भारत-रूस व्यापार का वर्तमान परिदृश्य
भारत और रूस के बीच व्यापार लगभग 63 अरब डॉलर का है। यूक्रेन संकट के बाद भारत ने रूस से तेल की खरीद में वृद्धि की है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की दवा और श्रम-प्रधान वस्तुओं के उत्पादन पर असर पड़ सकता है, और रूस इस नुकसान की भरपाई में मदद करेगा।
भारत-रूस संबंधों की मजबूती
राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस संबंधों की मजबूती और स्थायित्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कभी कोई अंतरराज्यीय तनाव नहीं रहा है, और यह साझेदारी भरोसे और संवेदनशीलता पर आधारित है। पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को एक संतुलित और बुद्धिमान नेता बताया और उन्हें अपने व्यक्तिगत मित्र के रूप में भी वर्णित किया।
व्यापार की पूरी क्षमता का लाभ उठाने की आवश्यकता
पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-रूस व्यापार की पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए वित्तीय, लॉजिस्टिक और भुगतान प्रणालियों में आने वाली बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच 63 अरब डॉलर के व्यापार की तुलना बेलारूस के 50 अरब डॉलर के व्यापार से की जा सकती है, और भारत की बड़ी जनसंख्या और आर्थिक पैमाने को देखते हुए इसमें और वृद्धि की संभावनाएं हैं।
रूस का कदम और भारत-रूस संबंध
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस का यह कदम न केवल अमेरिका के टैरिफ के प्रभाव से निपटने के लिए है, बल्कि यह भारत और रूस के लंबे समय से चल रहे ऐतिहासिक और पारस्परिक लाभकारी संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास भी है। यह पहल भारत को वैश्विक आर्थिक झटकों से सुरक्षित रखने और व्यापारिक साझेदारी को नई दिशा देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।