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रेड सैंड बोआ: एक दुर्लभ सांप जो करोड़ों में बिकता है

रेड सैंड बोआ, एक दुर्लभ सांप, अपनी अनोखी विशेषताओं और उच्च कीमत के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक हो सकती है। यह सांप पारंपरिक चिकित्सा में उपयोगी माना जाता है, लेकिन इसकी तस्करी एक गंभीर समस्या है। जानें इसके संरक्षण की आवश्यकता और इसके बारे में और जानकारी।
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रेड सैंड बोआ की अनोखी विशेषताएँ

भारत में सांपों की दुनिया रहस्यमय और अंधविश्वासों से भरी हुई है। यहाँ 69 प्रकार के खतरनाक सांप पाए जाते हैं, जिनमें समुद्री और ज़मीनी दोनों प्रजातियाँ शामिल हैं। आज हम एक विशेष सांप, रेड सैंड बोआ, के बारे में चर्चा करेंगे, जो अपनी दुर्लभता के कारण करोड़ों में बिकता है। इसे 'दो मुंहा' कहा जाता है, लेकिन वास्तव में इसके दो मुँह नहीं होते; इसकी पूंछ मुँह जैसी दिखती है।


रेड सैंड बोआ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी दुर्लभता है, जिसके कारण इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक हो सकती है। इसकी मांग का एक कारण यह है कि इसे पारंपरिक और तांत्रिक चिकित्सा में कई औषधीय उपयोगों के लिए प्रयोग किया जाता है, विशेषकर यौन शक्ति बढ़ाने वाली दवाओं में। यह सांप उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों में पाया जाता है और आमतौर पर मनुष्यों से दूरी बनाए रखता है।


हालांकि, इसकी उच्च कीमत और दुर्लभता के कारण रेड सैंड बोआ की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। भारत सरकार ने इसे 1972 में संरक्षित प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया है, और इसके शिकार या पकड़ना वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत गंभीर अपराध है। फिर भी, अवैध बाजारों में इसकी बिक्री जारी है, जो इस अद्वितीय प्रजाति के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है।