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रेयर अर्थ एलिमेंट्स: भारत के लिए नए अवसर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

रेयर अर्थ एलिमेंट्स, जिन्हें 21वीं सदी का 'नया तेल' कहा जा रहा है, भारत के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रहे हैं। चीन के वर्चस्व के बीच, भारत के पास महत्वपूर्ण भंडार और संभावनाएँ हैं। जानें कैसे भारत नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन के तहत अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से निवेश के नए अवसरों की तलाश कर रहा है।
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रेयर अर्थ एलिमेंट्स: भारत के लिए नए अवसर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

रेयर अर्थ एलिमेंट्स का महत्व


रेयर अर्थ एलिमेंट्स: वर्तमान में, रेयर अर्थ एलिमेंट्स की चर्चा वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। इन्हें 21वीं सदी का 'नया तेल' माना जा रहा है, क्योंकि ये भविष्य की तकनीक, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक शक्ति के समीकरण को बदलने की क्षमता रखते हैं। ये 17 दुर्लभ धातुएं आधुनिक तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जैसे स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, पवन चक्कियां और उन्नत रक्षा प्रणाली।


कोटक म्यूचुअल फंड की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ये धातुएं भले ही आम जनता की नजरों से ओझल हों, लेकिन ये स्वच्छ ऊर्जा, मजबूत अर्थव्यवस्था और स्थायी भविष्य की दिशा में चुपचाप क्रांति ला रही हैं।


चीन का वर्चस्व और भारत के अवसर

वर्तमान में, इस क्षेत्र में चीन का दबदबा है, जो दुनिया के लगभग 70% रेयर अर्थ का खनन और 90% रिफाइनिंग करता है। इसका मतलब है कि भले ही खनिज अन्य देशों में पाए जाते हों, लेकिन उन्हें उपयोगी रूप में बदलने के लिए पूरी दुनिया चीन पर निर्भर है।


हालांकि, यह स्थिति अब बदलने लगी है। भारत के पास लगभग 6% रेयर अर्थ भंडार है, जिसमें केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े भंडार मौजूद हैं। वर्तमान में भारत का वैश्विक उत्पादन हिस्सा 1% से भी कम है, लेकिन आने वाले वर्षों में यह तेजी से बदलने की संभावना है।


भारत का 'नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन 2025'

भारत सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए 'नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (2025)' की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य खोज, खनन और प्रसंस्करण को तेज करना है। इसी बीच, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि तब मिली जब सरकारी कंपनी IREL (इंडिया) लिमिटेड को अमेरिका की निर्यात नियंत्रण सूची से हटा दिया गया। इससे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और उन्नत तकनीक के रास्ते खुल गए हैं।


IREL अब विशाखापत्तनम में सैमरियम-कोबाल्ट मैग्नेट के घरेलू उत्पादन की तैयारी कर रहा है, जो रक्षा उपकरणों और उच्च तकनीकी उद्योगों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जिससे भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।


वैश्विक साझेदारी और निवेश के नए अवसर

भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाले 'मिनरल सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP)' और KABIL (खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड) जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए भारत को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देख रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि 2030 तक चीन की खनन हिस्सेदारी 69% से घटकर 51% और रिफाइनिंग हिस्सेदारी 90% से घटकर 76% रह जाएगी। यह बदलाव भारत जैसे देशों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है।


निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन और बढ़ती मांग

सरकार ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में सुधार किए हैं और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं के जरिए निजी क्षेत्र को इस जटिल क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2040 तक इन धातुओं की मांग 300% से 700% तक बढ़ सकती है।


भारत की यह रणनीति केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं है। यह 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत देश को स्वच्छ प्रौद्योगिकी और रणनीतिक संसाधनों के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का रोडमैप भी है।