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लालू प्रसाद ने राजद की कार्यकारिणी में किया बड़ा बदलाव

लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल की कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें उन्होंने अपने बेटे को बाहर कर बेटी को शामिल किया है। इस नई कार्यकारिणी में सवर्ण नेताओं को भी स्थान दिया गया है, जिससे राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना है। क्या यह 10 प्रतिशत का कोटा तय करने का संकेत है? जानें इस बदलाव के पीछे की रणनीति और विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की संभावनाएं।
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लालू प्रसाद ने राजद की कार्यकारिणी में किया बड़ा बदलाव

राजद की नई कार्यकारिणी का गठन

राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस नई कार्यकारिणी में कुल 53 सदस्य शामिल किए गए हैं, जिसमें से उन्होंने अपने परिवार के सदस्य तेज प्रताप यादव को बाहर कर दिया है और उनकी बेटी रोहिणी आचार्य को शामिल किया है। इस कार्यकारिणी में लालू प्रसाद ने पांच सवर्ण नेताओं को भी स्थान दिया है, जो कि लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है। यह ध्यान देने योग्य है कि बिहार में जाति गणना के अनुसार हिंदू सवर्णों की जनसंख्या लगभग 10 प्रतिशत है।


इस बदलाव के साथ सवाल उठता है कि क्या राजद ने हिंदू सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत का कोटा निर्धारित किया है? क्या आगामी विधानसभा चुनाव में भी वे 10 प्रतिशत टिकट देंगे? यदि ऐसा होता है, तो इसका अर्थ होगा कि 24 सवर्ण महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के कारण यह संख्या बढ़ सकती है। लालू प्रसाद ने जिन सवर्ण नेताओं को कार्यकारिणी में शामिल किया है, उनमें शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी, जगदानंद सिंह के बेटे और बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह शामिल हैं, जिन्हें किसान मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया गया है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के अशोक सिंह, राज्यसभा सांसद मनोज झा और वरिष्ठ नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह को भी इस समिति में स्थान मिला है। अब सभी की नजर विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण पर होगी।