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वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता: क्या बदलेगा राजस्थान का राजनीतिक परिदृश्य?

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हालिया राजनीतिक सक्रियता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वे अपने वनवास से बाहर निकलकर मुख्यमंत्री बन पाएंगी? उनके बेटे दुष्यंत सिंह की केंद्रीय राजनीति में भूमिका और भाजपा के भविष्य पर भी चर्चा हो रही है। जानें, क्या वसुंधरा की सक्रियता से राजस्थान की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आएगा।
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वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता: क्या बदलेगा राजस्थान का राजनीतिक परिदृश्य?

राजनीतिक गलियारे में वसुंधरा राजे की वापसी

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता के किस्से इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। वे अचानक से राजनीतिक परिदृश्य में सक्रिय हो गई हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। उनकी दो प्रमुख इच्छाएं हैं: पहली, राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना और दूसरी, उनके बेटे दुष्यंत सिंह को केंद्र में मंत्री बनाना। दुष्यंत लगातार चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, भाजपा इस बार राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, फिर भी दुष्यंत ने करीब पौने चार लाख वोटों से जीत हासिल की। वसुंधरा राजे की उम्र 72 वर्ष है और वे राजस्थान विधानसभा की सदस्य भी हैं। वे इशारों में अपने वनवास की तुलना भगवान राम से कर रही हैं।


क्या वसुंधरा का वनवास समाप्त होगा?

वसुंधरा राजे निश्चित रूप से राजस्थान भाजपा की प्रमुख नेता हैं, लेकिन क्या उनका वनवास समाप्त होगा? उनके समर्थक हाल ही में उन्हें उप राष्ट्रपति बनाने की बात कर रहे थे, और कुछ का कहना है कि वे भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष बन सकती हैं। हालांकि, यह संभावना भी कम लगती है। ध्यान देने योग्य है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा, जोधपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम में भी उनकी आधे घंटे की मुलाकात हुई। लेकिन क्या इतनी सक्रियता से केवल यह हासिल होगा कि उनके कुछ करीबी नेताओं को राजस्थान मंत्रिमंडल में स्थान मिल जाएगा? कालीचरण सराफ और श्रीचंद कृपलानी जैसे विधायकों को सरकार में शामिल किया जा सकता है, लेकिन वसुंधरा की सक्रियता निश्चित रूप से इससे कहीं अधिक की मांग करती है।