वारिसनगर विधानसभा: बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना

वारिसनगर का राजनीतिक परिदृश्य
पटना: बिहार के समस्तीपुर जिले में वारिसनगर एक ऐसा क्षेत्र है, जो केवल अपनी उपजाऊ मिट्टी के लिए नहीं, बल्कि अपने अनोखे राजनीतिक इतिहास के लिए भी जाना जाता है। यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की एक प्रमुख विधानसभा सीट है, जो लंबे समय से क्षेत्रीय दलों का गढ़ बनी हुई है।
यह प्रखंड समस्तीपुर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 108 किलोमीटर दूर है।
वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में हुआ था, जिसमें वारिसनगर और खानपुर के दो पूरे प्रखंड शामिल हैं, साथ ही शिवाजी नगर प्रखंड की छह ग्राम पंचायतें भी इसमें आती हैं।
इस सीट पर कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
वारिसनगर की राजनीति का एक दिलचस्प पहलू यह है कि बिहार के प्रमुख दल, राजद और भाजपा, इस क्षेत्र में लगभग अदृश्य हो चुके हैं।
राजद ने 2010 से लगातार चार चुनावों में हार के बाद यहां चुनाव लड़ना बंद कर दिया और अपने गठबंधन सहयोगियों को समर्थन देना शुरू किया।
भाजपा ने भी अक्टूबर 2005 की हार के बाद इसी रणनीति को अपनाया और जदयू तथा लोजपा जैसे सहयोगी दलों को समर्थन देने लगी।
कांग्रेस, जिसने केवल 1972 में एक बार जीत हासिल की थी, लगातार हार के कारण चुनावी परिदृश्य से बाहर हो गई है।
वाम दलों में सीपीआई ने भी लगातार असफलताओं के कारण इस सीट से हटने का निर्णय लिया।
वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) 2010 से इस सीट पर काबिज हैं। हालांकि, उनकी जीत का अंतर लगातार कम होता जा रहा है, जो एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है।
2015 में उनका जीत का अंतर 58,573 था, जो 2020 में घटकर केवल 13,801 वोट रह गया।
इस अंतर में कमी का मुख्य कारण लोजपा की तीसरे दल के रूप में उपस्थिति थी, जिसने 2020 में 12.60 प्रतिशत वोट हासिल किए।
गंगा के मैदानी क्षेत्र में बसा वारिसनगर प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। पास की कमला और कोसी नदियों के कारण यहां की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है। लगभग 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जिसमें धान, गेहूं, मक्का और दालें मुख्य फसलें हैं।
आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियां बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। वारिसनगर प्रखंड का रोहुआ गांव विशेष रूप से तंबाकू की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
कृषि के अलावा, डेयरी उद्योग भी वारिसनगर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वारिसनगर सीट पर पहले चरण के तहत चुनाव 6 नवंबर को होंगे और वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी।