विदेश मंत्री एस जयशंकर पर उठे सवाल, कांग्रेस ने किया निशाना
जयशंकर की कूटनीतिक चुनौतियाँ
विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय आलोचनाओं के केंद्र में हैं। उनके ऊपर मजाक और मीम्स का दौर चल रहा है, साथ ही कई लेख भी प्रकाशित हो रहे हैं। इन लेखों में यह बताया जा रहा है कि पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत की कूटनीतिक गतिविधियों में वे पीछे रह गए हैं। भाजपा और सरकार के कुछ लोग मानते हैं कि शशि थरूर जैसे व्यक्तित्व अधिक प्रभावी हैं, जिनकी बातें वैश्विक स्तर पर अधिक ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
इस बीच, जयशंकर कांग्रेस के निशाने पर भी आए हैं। कनाडा में आयोजित जी 7 शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित न किए जाने को लेकर कांग्रेस और अन्य समूहों ने उन पर आरोप लगाए हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने हाल ही में कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद से बातचीत की, लेकिन भारत के लिए निमंत्रण प्राप्त करने में असफल रहे।
जी 7 सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति
यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले छह वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी जी 7 की बैठकों में भाग ले रहे हैं। इस बार कनाडा ने उन्हें निमंत्रण नहीं दिया, जबकि उम्मीद थी कि जस्टिन ट्रूडो के हटने और मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और कनाडा के संबंधों में सुधार होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कार्नी ने ब्राजील, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों को निमंत्रण दिया, लेकिन भारत को नजरअंदाज किया।
जयशंकर को इस बात के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा है कि वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भी मोदी के लिए निमंत्रण नहीं जुटा पाए। भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत का विदेश मंत्री ऐसा कैसे हो सकता है, जिसकी पत्नी विदेशी हो और बच्चे अमेरिका में रहते हों। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि विदेश भेजे गए सात डेलिगेशन में जयशंकर की भूमिका सीमित रही। डेलिगेशन के 59 सदस्यों को ब्रीफ करने का कार्य विदेश सचिव ने किया, न कि विदेश मंत्री ने।
