Newzfatafatlogo

विदेश मंत्री जयशंकर की चीन यात्रा: द्विपक्षीय वार्ता और SCO सम्मेलन

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने बीजिंग का दौरा किया है, जो कि पांच वर्षों में उनकी पहली यात्रा है। इस दौरान वे अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह दौरा 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद हो रहा है, जिससे इसकी विशेष महत्वता बढ़ गई है। जयशंकर 15 जुलाई को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी भाग लेंगे। जानें इस यात्रा के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम।
 | 
विदेश मंत्री जयशंकर की चीन यात्रा: द्विपक्षीय वार्ता और SCO सम्मेलन

जयशंकर का बीजिंग दौरा

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने सिंगापुर के बाद बीजिंग का दौरा शुरू किया है, जो कि पांच वर्षों में उनकी पहली यात्रा है। इस यात्रा के दौरान, वे अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा, जयशंकर 15 जुलाई को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में भी भाग लेंगे।


दौरे का महत्व

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद जयशंकर की पहली यात्रा है। बीजिंग में, वे वांग यी के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें भारत को दुर्लभ मृदा आपूर्ति, दलाई लामा का उत्तराधिकार, हालिया भारत-पाकिस्तान तनाव और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली शामिल हैं।


मोदी और जिनपिंग की बैठक

इससे पहले, अक्टूबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक हुई थी। यह पिछले पांच वर्षों में उच्चस्तरीय बातचीत का पहला अवसर था, जिसमें मोदी ने भारत-चीन संबंधों को स्थिर और सकारात्मक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।


अन्य उच्चस्तरीय दौरे

इसके बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी बीजिंग का दौरा किया। डोभाल ने हाल ही में एससीओ सदस्य देशों की सुरक्षा परिषद सचिवों की बैठक में आतंकवादी संगठनों से उत्पन्न खतरों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने भारत-चीन संबंधों के विकास पर भी चर्चा की।