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विनट्रैक इंक का चेन्नई कस्टम्स के खिलाफ आरोप: भ्रष्टाचार पर बहस तेज

विनट्रैक इंक ने चेन्नई कस्टम्स पर उत्पीड़न और संगठित उगाही का आरोप लगाया है, जिससे भारत के व्यापारिक ढांचे में भ्रष्टाचार पर एक महत्वपूर्ण बहस शुरू हो गई है। वित्त मंत्रालय ने इस मामले की जांच की पुष्टि की है, जिसके बाद कई आयातकों ने अपने अनुभव साझा किए हैं। उद्योग जगत ने इस मुद्दे पर सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। क्या यह मामला भारत में व्यापारिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई शुरुआत करेगा? जानें पूरी कहानी में।
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विनट्रैक इंक का चेन्नई कस्टम्स के खिलाफ आरोप: भ्रष्टाचार पर बहस तेज

विनट्रैक इंक का विवाद

लॉजिस्टिक्स कंपनी विनट्रैक इंक के मुद्दे ने हाल ही में काफी ध्यान आकर्षित किया है। इस कंपनी ने चेन्नई कस्टम्स पर उत्पीड़न और संगठित उगाही का आरोप लगाया है। विंट्रैक इंक की इस सार्वजनिक लड़ाई ने भारत के व्यापारिक ढांचे में भ्रष्टाचार पर एक महत्वपूर्ण चर्चा शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय ने इस मामले की आधिकारिक जांच की पुष्टि की है, जिसके बाद देशभर के आयातकों, सीमा शुल्क दलालों और व्यापारियों ने उत्पीड़न और रिश्वत मांगने के अपने अनुभव साझा करना शुरू कर दिया है। मंत्रालय ने यह भी बताया है कि मामले की जांच चल रही है। 


सरकार की प्रतिक्रिया

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने मेसर्स विंट्रैक इंक (चेन्नई) द्वारा उठाए गए मुद्दे का संज्ञान लिया है। राजस्व विभाग (डीओआर) को इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की गहन जांच करने, संबंधित पक्षों और अधिकारियों की सुनवाई करने और सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है। सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और उचित कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। उद्योग जगत ने इस जांच में देरी की बात कही है और बताया कि भ्रष्टाचार की शिकायतें वर्षों से आम हैं। 


अन्य व्यापारियों के अनुभव

विनट्रैक के मामले ने अन्य व्यापारियों को भी अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया है। चेन्नई के व्यवसायी उदय संबथ ने बताया कि उनके एक मित्र ने "सामान छुड़ाने" के लिए चेन्नई कस्टम्स को 47,000 रुपये की रिश्वत दी थी। इसके बाद वह बैंगलोर चले गए और इस मुद्दे पर लड़ने से हिचकिचा रहे थे क्योंकि इससे उनके व्यापार पर असर पड़ सकता था। एक अन्य आयातक, यूसुफ उंझावाला ने कहा, "मेरे अनुभव के अनुसार, रिश्वत की मांग शिपमेंट मूल्य का 10-50% तक हो सकती है। यदि आप समझौता नहीं करते हैं, तो वे शिपमेंट की जांच करने की धमकी देते हैं, जिससे व्यापार में देरी और नुकसान होता है। राजकोट में, व्यवसायी विनीत वेकारिया ने आरोप लगाया कि कस्टम विभाग MOWR योजना के लिए 5-7 लाख रुपये मांगता है, अन्यथा अंतहीन देरी होती है।"