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विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव: मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी

विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है, जिसका उद्देश्य चुनाव आयोग पर लगे वोट चोरी के आरोपों का सामना करना है। इंडिया गठबंधन की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति बनी है। महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जो तब लागू होती है जब कोई संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा संविधान का उल्लंघन होता है। भारत में महाभियोग प्रस्तावों का इतिहास भी दिलचस्प है, जिसमें कई बार प्रयास किए गए हैं, लेकिन सफलता कम ही मिली है। इस लेख में जानें महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया और इसके पीछे की कहानी।
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विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव: मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी

विपक्ष के आरोप और महाभियोग प्रस्ताव

विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर वोट चोरी के गंभीर आरोप लगा रहा है, जबकि चुनाव आयोग ने बार-बार इन आरोपों से खुद को अलग किया है। अब विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है। सोमवार को संसद भवन में इंडिया गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें इस प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके साथ ही, यह भी तय किया गया कि वोट चोरी के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा।


महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया

महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसे भारतीय संविधान में आयरलैंड से लिया गया है। यह प्रस्ताव तब लाया जाता है जब कोई संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षम होने की स्थिति उत्पन्न होती है। यह राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों, और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ लाया जा सकता है।


महाभियोग प्रस्तावों का इतिहास

भारत में कई बार महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन संसद में केवल तीन बार ही प्रस्ताव पेश किए गए हैं। 2016 और 2017 में तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस सीवी नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन समर्थन की कमी के कारण यह सफल नहीं हो सका। 2018 में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ भी प्रस्ताव आया, जिसे उपराष्ट्रपति ने खारिज कर दिया।


2015 में महाभियोग प्रस्तावों की कोशिश

साल 2015 में संसद में तीन बार महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बनी, लेकिन ये प्रस्ताव पेश नहीं हो सके। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस एसके गंगेल के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी हुई, लेकिन जांच में आरोप साबित नहीं हुए। सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरन ने इस्तीफा दे दिया, जबकि गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस जेबी पार्दीवाला ने विवादित टिप्पणी वापस ले ली।