विपक्ष के मुद्दे सुलझने से नई चुनौतियों का सामना

विपक्ष की एकता में कमी
हाल के दिनों में, विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दे धीरे-धीरे सुलझते जा रहे हैं। जिन मुद्दों पर वे केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे थे, उनमें से अधिकांश अब हल हो चुके हैं। उदाहरण के लिए, पिछले दो वर्षों से विपक्ष यह सवाल उठा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं। कई प्रमुख विपक्षी नेता प्रधानमंत्री से अपील कर रहे थे कि उन्हें मणिपुर जाकर वहां शांति की अपील करनी चाहिए। हालांकि, प्रधानमंत्री ने देर से ही सही, मणिपुर की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान, बारिश के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका, इसलिए उन्होंने सड़क मार्ग से यात्रा की और राहत शिविरों में जाकर प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कुकी बहुल चुराचांदपुर और मैती बहुल इम्फाल में भी जनसभा की। भले ही इसे 'टू लेट, टू लिटिल' कहा जाए, लेकिन प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा किया। इस यात्रा में वे मिजोरम भी गए, जो मणिपुर की हिंसा से प्रभावित हुआ है।
मतदाता सूची पुनरीक्षण का मुद्दा
इसके बाद, विपक्ष का एक और महत्वपूर्ण मुद्दा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का था। यह मुद्दा अभी भी प्रासंगिक है, और जब चुनाव आयोग इसे लागू करेगा, तो विभिन्न राज्यों में विपक्षी दल इसे फिर से उठाने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन अब इस मुद्दे की धार कम हो गई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष की एक प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि मतदाता सत्यापन के लिए आधार को एक दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार नागरिकता के सत्यापन का दस्तावेज नहीं है। ऐसे में, जब चुनाव आयोग किसी की नागरिकता को संदिग्ध मानता है, तो वह क्या कदम उठाएगा, यह देखना होगा। विपक्ष इस निर्णय को अपनी जीत मान रहा है।
धनखड़ का मुद्दा भी समाप्त
पिछले दो महीनों से विपक्ष के पास एक और बड़ा मुद्दा था कि पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कहां गए हैं। विपक्ष के एक राज्यसभा सांसद ने हैबियस कॉर्पस की याचिका दायर करने की बात की थी। कई विपक्षी दलों ने धनखड़ को हाउस अरेस्ट किए जाने का आरोप लगाया था। लेकिन अब धनखड़ भी सार्वजनिक रूप से सामने आ गए हैं। हाल ही में, वे उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथ समारोह में शामिल हुए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ भाग लिया और भाजपा नेताओं के साथ पूर्व उप राष्ट्रपतियों से भी मिले। इस प्रकार, 'धनखड़ कहां गए' का मुद्दा भी समाप्त हो गया है। अब विपक्ष को नए मुद्दों की तलाश करनी होगी।