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विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का नाम विवाद: क्या होगा आगे?

विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के नाम को लेकर चल रहे विवाद ने राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। नीतीश कुमार के विरोध के बावजूद, यह नाम अब विवाद का कारण बन गया है। कई पार्टियां इस नाम से असहज महसूस कर रही हैं और उप राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार के रूप में बी सुदर्शन रेड्डी को प्रस्तुत करने से हिचकिचा रही हैं। क्या यह गठबंधन अगले चुनावों में नए नाम के साथ सामने आएगा? जानें इस लेख में।
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विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का नाम विवाद: क्या होगा आगे?

विपक्षी गठबंधन का नामकरण विवाद

यह स्थिति अपेक्षित थी, क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने 'इंडिया' नाम को आम सहमति से नहीं चुना था। 2023 में नीतीश कुमार की पहल पर भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें पटना से लेकर बेंगलुरू और मुंबई तक बैठकें आयोजित की गईं। इस दौरान कई नामों पर चर्चा हुई, जिनमें 'इंडिया' भी शामिल था। नीतीश कुमार ने उस समय इस नाम का विरोध किया था, यह कहते हुए कि यह किसी राजनीतिक गठबंधन के लिए उपयुक्त नहीं है। उनकी बात अब सही साबित हो रही है, और इस नाम को लेकर विवाद जारी है। कई मीडिया समूह और भाजपा की सहयोगी पार्टियां इसे 'इंडी अलायंस' कहती हैं, जो विपक्षी दलों को पसंद नहीं आ रहा। आम जनता के बीच भी 'इंडिया' नाम को स्वीकार्यता नहीं मिल रही है। बिहार और झारखंड में लोग इसे महागठबंधन के रूप में जानते हैं, जबकि महाराष्ट्र में इसे महाविकास अघाड़ी और तमिलनाडु में सेकुलर प्रोग्रेसिव अलायंस के नाम से जाना जाता है।


इसके अलावा, इस गठबंधन से कई पार्टियां अलग हो चुकी हैं, लेकिन मुद्दों के आधार पर भाजपा के खिलाफ एकजुट होती हैं। वे इस नाम के साथ सहज नहीं हैं।


यह ध्यान देने योग्य है कि पहले विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए था, जो अब समाप्त हो चुका है। संभव है कि 'इंडिया' नाम भी समाप्त हो जाए और आगामी लोकसभा चुनावों में किसी नए नाम से गठबंधन बने। लेकिन वर्तमान में समस्या यह है कि कई पार्टियां उप राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 'इंडिया' ब्लॉक का उम्मीदवार बताने से हिचकिचा रही हैं। उदाहरण के लिए, आम आदमी पार्टी ने विपक्षी गठबंधन से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। उसने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर संसद सत्र में विपक्ष का समर्थन किया, लेकिन वह कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र रहना चाहती है।


इसी तरह, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 'इंडिया' ब्लॉक के बैनर तले नहीं लड़ा था। वे पहले से ही इस गठबंधन से बाहर हैं और बी सुदर्शन रेड्डी को 'इंडिया' ब्लॉक का उम्मीदवार बताने के खिलाफ हैं। समाजवादी पार्टी भी इस गठबंधन से दूरी बनाए हुए है। हाल ही में, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने एक साथ मिलकर एक विधेयक पर विचार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति के बहिष्कार का निर्णय लिया।


इस प्रकार, कम से कम तीन पार्टियां, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी, नहीं चाहतीं कि बी सुदर्शन रेड्डी को 'इंडिया' ब्लॉक का उम्मीदवार बताया जाए। विपक्षी दलों का मानना है कि उन्हें साझा उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिससे 'इंडिया' ब्लॉक और एनडीए से बाहर की कुछ पार्टियों का समर्थन भी मिल सके। उप राष्ट्रपति चुनाव के बहाने शुरू हुआ यह मामला आगे बढ़ेगा। संभव है कि पार्टियां गठबंधन का नाम बदलने का दबाव बनाएंगी। यह भी हो सकता है कि यह गठबंधन बिखर जाए और केवल राज्यों में ही सीमित रह जाए। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में भी गठबंधन की पार्टियां अलग-अलग लड़ती नजर आ रही हैं।