विपक्षी सांसदों का चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन, गड़बड़ियों का लगाया आरोप

विपक्ष का मार्च और चुनाव आयोग पर सवाल
विपक्षी सांसदों ने मतदाता सूची में संभावित गड़बड़ियों के खिलाफ एक मार्च निकाला और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने मीडिया से बातचीत में अपनी नाराजगी व्यक्त की और लोकतंत्र को खतरे में बताया। इन नेताओं ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इसे तानाशाही करार दिया।
कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा, “पीएम मोदी के शासन में किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस पार्टी और इंडिया अलायंस तब तक संघर्ष करेगा, जब तक हमें न्याय नहीं मिलता। हरियाणा में हमारी सरकार आठ सीटों से चली गई थी। इसी तरह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हम फिर से जीतने वाले थे, लेकिन हमारे पास सबूत नहीं थे, इसलिए हम चुप रहे। जब हमने तथ्यों के साथ बात की, तो हमें लगता है कि ये चुनाव बीजेपी ने नहीं जीते।
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “हम कई महीनों से चुनाव आयोग को बता रहे हैं कि वोटर सूची में डुप्लीकेशन है। ममता दीदी ने फरवरी में नेताजी की प्रतिमा के सामने यह बात कही थी। राहुल जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अगर चुनाव आयोग ने 2024 का चुनाव नकली वोटर्स के माध्यम से करवाया है, तो पहले प्रधानमंत्री को कुर्सी से हटाना चाहिए।
उन्होंने यह भी पूछा कि आखिर आपने 2024 का चुनाव कैसे आयोजित किया? लोकतंत्र में हमारा अधिकार है, हम जनता के प्रतिनिधि हैं। वोटों की चोरी हुई है, जो पूरी तरह से तानाशाही है, और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। यह लोकतांत्रिक देश है। आप ऐसा करके नकली वोटर्स डालकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा, “पांच महीने में 50-50 लाख वोट जुड़ना कोई छोटी बात नहीं है। पूरा देश इस समय पूछ रहा है कि लोकतंत्र के नाम पर ये क्या हो रहा है? यह तानाशाही है। जिस तानाशाही से हमने 1947 में आजादी पाई थी, वही तानाशाही हम पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मार्च के दौरान पुलिस द्वारा रोके जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर रहे थे, लेकिन हमें रोका गया। हमारी मांग थी कि विपक्ष के सांसद निर्वाचन आयोग को अपना दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। उस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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