Newzfatafatlogo

शशि थरूर का आरएसएस पर संविधान को लेकर विवादित बयान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आरएसएस पर आरोप लगाया है कि उसने संविधान को प्रारंभिक चरण में कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक गोलवलकर का मानना था कि संविधान में मनुस्मृति का कोई स्थान नहीं है। इस पर आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने विवादास्पद बयान दिया, जिसके बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर संविधान में बदलाव की मंशा का आरोप लगाया। जानें इस मुद्दे पर राहुल गांधी और मायावती की क्या प्रतिक्रियाएँ हैं।
 | 
शशि थरूर का आरएसएस पर संविधान को लेकर विवादित बयान

आरएसएस और संविधान पर थरूर की टिप्पणी

कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने संविधान को प्रारंभिक चरण में कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर का मानना था कि संविधान में मनुस्मृति का कोई स्थान नहीं है, जिससे यह एक "त्रुटिपूर्ण दस्तावेज़" बन जाता है। थरूर ने यह भी कहा कि संगठन अब शायद उस विचारधारा से आगे बढ़ चुका है, लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से यह टिप्पणी सही है।


आरएसएस महासचिव का बयान

दत्तात्रेय होसबोले का बयान


आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' जैसे शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे, जब संसद निष्क्रिय थी और न्यायपालिका कमजोर हो गई थी। उन्होंने इन शब्दों की उपस्थिति पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया। उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर संविधान में बदलाव की मंशा का आरोप लगाया है।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

संविधान से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं


इस पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 27 जून को कहा कि आरएसएस का असली चेहरा फिर सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संगठन मनुस्मृति को प्राथमिकता देता है, न कि संविधान को, क्योंकि संविधान समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। वहीं, बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि संविधान की मूल भावना से कोई छेड़छाड़ की गई, तो उनकी पार्टी सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मामले पर नजर रखेगी।