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शशि थरूर का भाजपा में जाने का इरादा बदलता नजर आ रहा है

शशि थरूर, जो चार बार के सांसद हैं, के भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं अब कम होती दिख रही हैं। हाल ही में उन्होंने सावरकर पुरस्कार लेने से इनकार किया और मनरेगा को समाप्त करने के खिलाफ आवाज उठाई। इसके अलावा, उन्होंने सरकार के परमाणु ऊर्जा विधेयक का भी विरोध किया। क्या ये घटनाएं उनके राजनीतिक रुख में बदलाव का संकेत हैं? जानें पूरी कहानी में।
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शशि थरूर का भाजपा में जाने का इरादा बदलता नजर आ रहा है

थरूर का हृदय परिवर्तन

केरल की तिरूवनंतपुरम सीट से चार बार सांसद रहे शशि थरूर के राजनीतिक रुख में अचानक बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में तीन घटनाओं ने संकेत दिया है कि थरूर भाजपा की ओर बढ़ने के बजाय अपनी वर्तमान स्थिति में बने रहना चाहते हैं। एक हफ्ते पहले तक ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे भाजपा में शामिल होने वाले हैं, क्योंकि वे लगातार सरकार का समर्थन कर रहे थे और कांग्रेस की रणनीतियों पर सवाल उठा रहे थे। हाल ही में, एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी और थरूर की तुलना की, जिसमें थरूर की समझ को बेहतर बताया गया। थरूर ने इस पोस्ट को साझा करते हुए इसे दिलचस्प कहा। लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ गया है।


स्थानीय चुनावों का प्रभाव

क्या इस बदलाव के पीछे केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम हैं? उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इन चुनावों में शानदार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा केवल तिरूवनंतपुरम में अच्छा प्रदर्शन कर पाई है, जहां थरूर सांसद हैं। इसके अलावा, अन्य कारण भी हो सकते हैं।


सावरकर पुरस्कार का विवाद

थरूर के हृदय परिवर्तन की शुरुआत सावरकर पुरस्कार को लेने से इनकार करने से हुई। एक गैर सरकारी संगठन ने इस पुरस्कार की घोषणा की थी, जिसका वितरण भाजपा के प्रमुख नेताओं द्वारा किया जाना था। लेकिन अंतिम समय पर थरूर ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि उनसे सहमति नहीं ली गई थी। हालांकि, पुरस्कार देने वालों का कहना है कि थरूर ने पहले सहमति दी थी।


मनरेगा और परमाणु ऊर्जा पर विरोध

इसके बाद, थरूर ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) को समाप्त करने के लिए लाए गए नए कानून का खुलकर विरोध किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर और संसद में भी इसके खिलाफ आवाज उठाई। थरूर ने मनरेगा का नाम बदलकर 'जी राम जी' करने पर भी आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि 'राम का नाम बदनाम मत करो'। इसके बाद, जब सरकार ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों को मंजूरी देने का विधेयक पेश किया, तो थरूर ने उसका भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि इसमें बैकडोर बनाया जा रहा है, जिससे परमाणु दुर्घटना की स्थिति में जिम्मेदारी से बचा जा सकता है। थरूर का सरकार के दोनों महत्वाकांक्षी विधेयकों पर विरोध महत्वपूर्ण है।