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शशि थरूर ने 1975 के आपातकाल पर गंभीर चेतावनी दी

कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने 1975 में लागू आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा है। उन्होंने अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर की गई क्रूरता की निंदा की और कहा कि आज भी आपातकाल के सबक प्रासंगिक हैं। थरूर ने चेतावनी दी कि भविष्य में सत्ता का केंद्रीकरण और असहमति को दबाने की प्रवृत्तियां फिर से उभर सकती हैं।
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शशि थरूर ने 1975 के आपातकाल पर गंभीर चेतावनी दी

आपातकाल: एक गंभीर चेतावनी

नई दिल्ली: कांग्रेस के सांसद और कार्यसमिति के सदस्य डॉ. शशि थरूर ने 1975 में लागू किए गए आपातकाल के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने इसे केवल एक 'काला अध्याय' नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखने की आवश्यकता बताई।


अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर क्रूरता: थरूर ने कहा, "अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर की गई कार्रवाइयां कई बार क्रूरता में बदल गईं, जिन्हें किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।" उन्होंने स्पष्ट किया कि उस समय की कुछ नीतियां, विशेषकर संजय गांधी द्वारा चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान और शहरी झुग्गियों को तोड़ने की घटनाएं, लोकतंत्र के खिलाफ थीं और इनसे हजारों लोग प्रभावित हुए।


उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत एक अधिक आत्मविश्वासी, विकसित और मजबूत लोकतंत्र है, लेकिन आपातकाल के सबक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता का केंद्रीकरण और असहमति को दबाने की प्रवृत्तियां भविष्य में फिर से उभर सकती हैं, इसलिए लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।