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शिरोमणि अकाली दल का किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब में किसानों की भूमि सुरक्षा के लिए 15 जुलाई से आंदोलन की घोषणा की है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह 158 गांवों की 40 हजार एकड़ भूमि को एक लैंड पुलिंग योजना के तहत अधिग्रहित करने की योजना बना रही है। इस लेख में जानें कि कैसे यह योजना किसानों के हितों को प्रभावित कर सकती है और बादल ने सरकार की नीयत पर क्या सवाल उठाए हैं।
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शिरोमणि अकाली दल का किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष

किसानों की भूमि की सुरक्षा के लिए आंदोलन की घोषणा


किसानों की भूमि की सुरक्षा के लिए 15 जुलाई से आंदोलन की शुरुआत


चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि राज्य सरकार 158 गांवों की 40 हजार एकड़ भूमि को एक लैंड पुलिंग योजना के तहत अधिग्रहित करने की योजना बना रही है, जिसे उन्होंने भूमि हड़पने की योजना करार दिया। उन्होंने बताया कि यह अधिग्रहण केंद्रीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के बजाय पंजाब क्षेत्रीय टाउन प्लानिंग और विकास अधिनियम, 1995 के तहत किया जाएगा।


बादल ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए लुधियाना से 15 जुलाई को विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार 1995 के अधिनियम के तहत किसानों की भूमि को कम कीमत पर अधिग्रहित करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य किसानों को लूटकर अपने खजाने को भरना है।


सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए

बादल ने कहा कि केंद्रीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 में पुनर्वास योजना और मुआवजे की अधिक दरों का प्रावधान है, जबकि 1995 का पंजाब अधिनियम सरकार को भूमि अधिग्रहण से बाहर रखता है।


उन्होंने कहा कि यह सब 10 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा है। सरकार इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार है, चाहे वह 1995 के अधिनियम की धारा 56 के तहत भूमि अधिग्रहण से छूट देना हो या अपने चहेते लोगों को नीलामी, पट्टे या आवंटन की अनुमति देना हो।


विकास प्राधिकरणों में बाहरी सदस्यों की नियुक्ति

बादल ने कहा कि विकास प्राधिकरणों के सभी चार सदस्य बाहरी हैं, जो निजी भूमि डेवलपर्स को अवैध लाभ पहुंचाने की योजना का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि प्राधिकरण दिल्ली से संचालित होगा।


उन्होंने चेतावनी दी कि नए अधिग्रहण के कारण छोटे किसानों को भारी नुकसान होगा। 50 एकड़ भूमि रखने वालों को 60 प्रतिशत भूमि वापस मिलेगी, जबकि 9 एकड़ भूमि रखने वालों को केवल 33 प्रतिशत भूमि वापस मिलेगी।


किसानों के अधिकारों की सुरक्षा

बादल ने कहा कि एक बार अधिसूचना जारी होने के बाद किसानों को अपनी भूमि बेचने, कर्ज लेने या भूमि के उपयोग में बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी।