शिवसेना का केंद्र सरकार के विवादित बिल पर विरोध

JPC विवाद: शिवसेना का विरोध
JPC विवाद: शिवसेना के उद्धव गुट ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए उस विवादास्पद विधेयक का विरोध किया है, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को जेल में 30 दिन से अधिक रहने पर, बिना किसी सजा के, पद से हटाने का प्रावधान है। यह विधेयक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया था। रविवार को शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 130वां संविधान संशोधन लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का प्रयास है और इस पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) केवल एक दिखावा है।
संजय राउत का बयान
संजय राउत ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया है कि शिवसेना इस जेपीसी का हिस्सा नहीं बनेगी। उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार 130वें संविधान संशोधन के माध्यम से लोकतंत्र और जनता द्वारा चुनी गई सरकार को समाप्त करना चाहती है। जेपीसी केवल एक दिखावा है।
“Modi govt is pushing the 130th Constitutional Amendment to bulldoze democracy & people’s elected govt. The JPC formed to review this bill is a mere stunt. Shiv Sena chief Uddhav Thackeray clarifies that Shiv Sena will not participate in such a JPC. #DemocracyUnderThreat”
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) August 25, 2025
pic.twitter.com/iVfpMaVzn6
विपक्ष का एकजुट विरोध
जनप्रतिनिधियों के अधिकार और लोकतंत्र पर हमला
शिवसेना (यूबीटी) के अलावा, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी यह स्पष्ट किया है कि वे जेपीसी में अपने सांसद नहीं भेजेंगी। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक जनप्रतिनिधियों के अधिकारों और लोकतंत्र पर हमला है।
विपक्ष ने किया जोरदार हंगामा
इससे पहले, अमित शाह ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया। जैसे ही गृहमंत्री ने विधेयक पेश करना शुरू किया, विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। कई सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं और कागज के टुकड़े शाह की ओर फेंके। विपक्षी सांसद वेल तक पहुंच गए और गृहमंत्री के करीब जाने लगे, जिसके बाद कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
चौथी पंक्ति से पेश किए बिल
हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि जब दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो 15 मार्शलों को बुलाना पड़ा। अमित शाह को पहली पंक्ति के बजाय चौथी पंक्ति से विधेयक पेश करना पड़ा, जहां वे सुरक्षा घेरे में थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्षी सांसदों को चेतावनी भी दी। अब यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। हालांकि प्रमुख विपक्षी दलों के जेपीसी से दूरी बनाने के बाद इस समिति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।