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शी जिनपिंग और ट्रंप के बीच टैरिफ पर बातचीत: अमेरिका-चीन संबंधों में नई हलचल

हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच टैरिफ पर बातचीत हुई, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वार्ता के दौरान, ट्रंप ने शी जिनपिंग को 'बहुत सख्त' बताया, जबकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव जारी है। जानें इस बातचीत का क्या महत्व है और इससे अमेरिका-चीन संबंधों में क्या बदलाव आ सकता है।
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शी जिनपिंग और ट्रंप के बीच टैरिफ पर बातचीत: अमेरिका-चीन संबंधों में नई हलचल

शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन वार्ता

शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप के बीच टैरिफ पर बातचीत: हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। यह वार्ता 'मुक्ति दिवस' टैरिफ लागू होने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली सीधी बातचीत थी।


चीनी सरकारी मीडिया और विदेश मंत्रालय ने इस कॉल की पुष्टि की है। बताया गया है कि यह बातचीत व्हाइट हाउस के अनुरोध पर हुई, लेकिन इसमें चर्चा के विषय का विस्तृत विवरण साझा नहीं किया गया है।


ट्रंप का बयान और संबंधों की स्थिति


फोन कॉल से पहले ट्रंप ने शी जिनपिंग के बारे में कहा कि वह "बहुत सख्त" हैं और उनके साथ डील करना "कठिन" है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "मुझे राष्ट्रपति शी पसंद हैं और हमेशा रहेंगे, लेकिन वह बहुत ही सख्त हैं और उनके साथ समझौता करना बेहद कठिन है।"


यह बयान उस समय आया जब अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ और व्यापार समझौतों को लेकर तनाव बना हुआ है।


टैरिफ युद्ध का इतिहास


डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने 'मुक्ति दिवस' योजना के तहत चीन से आयातित सामान पर टैरिफ को 145% तक बढ़ा दिया था।


इसके जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर 125% तक शुल्क लगा दिया, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया।


जिनेवा में आंशिक सुलह


हालांकि, मई में जिनेवा में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद कुछ राहत मिली। इस समझौते के तहत:


अमेरिका ने टैरिफ को 145% से घटाकर 30% कर दिया।


चीन ने अपने टैरिफ को 125% से घटाकर 10% कर दिया।


इस समझौते को व्यापारिक स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना गया।


फोन कॉल का महत्व


विशेषज्ञों का मानना है कि यह बातचीत अमेरिका और चीन के बीच संबंध सुधारने की दिशा में एक प्रयास हो सकती है। हालांकि, सार्वजनिक रूप से बातचीत का ब्योरा उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह संकेत मिलता है कि दोनों देश कूटनीतिक संवाद बनाए रखने के लिए तैयार हैं।