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शी जिनपिंग की रणनीति: ताइवान मुद्दे पर ट्रंप को अपने पक्ष में लाने की कोशिश

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आने वाले वर्षों में डोनाल्ड ट्रंप को ताइवान मुद्दे पर अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रहे हैं। चीन अमेरिका की नीति में बदलाव लाने के लिए दबाव बना रहा है, जबकि अमेरिका ने ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं किया है। जानें इस रणनीति के पीछे के कारण और अमेरिका की प्रतिक्रिया के बारे में।
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शी जिनपिंग की रणनीति: ताइवान मुद्दे पर ट्रंप को अपने पक्ष में लाने की कोशिश

शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की संभावित मुलाकात

शी जिनपिंग और ट्रंप की बैठक: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आने वाले वर्षों में डोनाल्ड ट्रंप को ताइवान के मुद्दे पर अपने पक्ष में लाने का प्रयास करेंगे। चीन लंबे समय से अमेरिका की नीति में बदलाव लाने के लिए दबाव बनाने की योजना बना रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, शी का उद्देश्य ताइवान की स्वतंत्रता के खिलाफ एक औपचारिक अमेरिकी बयान प्राप्त करना है। बीजिंग का मानना है कि यह कदम ताइपे को अलग-थलग कर सकता है और चीन की स्थिति को मजबूत करेगा।


शी ने 2012 में सत्ता में आने के बाद से ताइवान के पुनर्मिलन को चीन के राष्ट्रीय पुनरुत्थान के अपने दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है। उन्होंने कई बार कहा है कि ताइवान का चीनी नियंत्रण में लौटना 'अपरिहार्य' है और बाहरी शक्तियाँ इसे रोक नहीं सकतीं।


अमेरिका और ताइवान के बीच बढ़ती दूरी

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान, अमेरिका ने कहा था कि वह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता। हालांकि, यह बीजिंग को पूरी तरह से आश्वस्त नहीं करता। शी अब अमेरिका से इस दिशा में स्पष्ट शब्द चाहते हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हम यथास्थिति में एकतरफा बदलाव का विरोध करते हैं। चीन ताइवान जलडमरूमध्य में सबसे बड़ा खतरा है। शी का मानना है कि आर्थिक रियायतों के बदले ट्रंप इस बदलाव को स्वीकार कर सकते हैं। पूर्व अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी इवान मेडेइरोस ने कहा कि वाशिंगटन-ताइपे के बीच की दरार बीजिंग के लिए ताइवान समस्या का बड़ा समाधान है। इस वर्ष ट्रंप ने ताइवान को 400 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता रोक दी है। वहीं, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते को अमेरिका में ट्रांजिट स्टॉप से मना कर दिया गया, जिससे उनकी लैटिन अमेरिका यात्रा रद्द हो गई।


एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन में संभावित मुलाकात

स्टिमसन सेंटर के यूं सुन ने कहा कि ताइवान पर कोई भी बदलाव तुरंत नहीं होगा, चीन लगातार दबाव बनाए रखेगा। इससे अमेरिकी प्रतिबद्धता पर ताइवान का भरोसा कमजोर होगा। इस वर्ष दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन में ट्रंप और शी की मुलाकात हो सकती है। 2026 में दोनों देशों के बीच पारस्परिक यात्राएं भी संभव हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और हमेशा से 110 मील चौड़े ताइवान जलडमरूमध्य पर नियंत्रण चाहता है, जिसके कारण ताइवान पर सैन्य-आर्थिक दबाव बढ़ाया गया है।