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संत कबीर की जयंती पर प्राचीन कला केंद्र में संगीत संध्या का आयोजन

चंडीगढ़ में प्राचीन कला केंद्र ने संत कबीर जी की जयंती के अवसर पर एक विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली से आए युवा कलाकारों ने कबीर जी के भजनों और रचनाओं को प्रस्तुत किया। दर्शकों ने भक्ति रास से भरे भजनों का आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया। जानें इस विशेष संध्या के बारे में और भी जानकारी।
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संत कबीर की जयंती पर प्राचीन कला केंद्र में संगीत संध्या का आयोजन

संगीत संध्या का आयोजन


चंडीगढ़ समाचार: प्राचीन कला केंद्र ने महान संत कबीर जी की जयंती के अवसर पर एक विशेष संगीत संध्या 'कबीर वाणी' का आयोजन किया। यह कार्यक्रम दिल्ली से आए युवा और प्रतिभाशाली कलाकारों द्वारा संत कबीर के शाश्वत ज्ञान को संगीतमय श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया। कार्यक्रम का समय शाम 6:30 बजे था और इसे एम एल कौसर सभागार में आयोजित किया गया।


इस संध्या में दिल्ली से आए कलाकारों में राजेश नेगी, डॉ. रवि पाल, गणेश कुमार, योगेश पाल, दिनेश कुमार, विपिन कुमार और गुरभेज सिंह शामिल थे।


कार्यक्रम की शुरुआत राजेश सिंह नेगी ने पंडित कुमार गंधर्व द्वारा रचित राग कल्याण में 'देखो री उत फूलन लगी' की प्रस्तुति से की। इसके बाद सभी कलाकारों ने 'नैहरवा हमका न भावे' की एक और रचना पेश की। कार्यक्रम के अगले भाग में 'राम निरंजन न्यारा रे' भजन प्रस्तुत किया गया।


इसके अतिरिक्त, कबीर के भजन 'साधो देखो रे जग बौराना' और 'है मन है इश्क मस्ताना' भी प्रस्तुत किए गए। कबीर जी की वाणी से 'बिन सतगुरु नर रहत भुलाना' और 'उड़ जाएगा हंस अकेला' जैसे भजन दर्शकों ने बहुत पसंद किए। इसके बाद 'अवधूता गगन घटा गहराई हो' और 'भजो रे भैया राम गोविंद हरी' जैसे भजन भी गाए गए। दर्शकों ने इन भजनों का भरपूर आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में कबीर के दोहे प्रस्तुत किए गए।


कार्यक्रम के समापन पर केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को उत्तरीया और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर दिल्ली से संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा और तबला वादक देबाशीष अधिकारी भी उपस्थित थे।