Newzfatafatlogo

संयुक्त संसदीय समिति का गठन न होने से विपक्ष में बढ़ी असहमति

संसद सत्र समाप्त होने के बाद, विपक्षी दलों में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने स्पीकर की अपील के बावजूद नाम नहीं भेजा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह भी बहिष्कार की दिशा में बढ़ रही है। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने पहले ही जेपीसी के बहिष्कार का ऐलान किया है। यदि कांग्रेस भी इस निर्णय पर पहुँचती है, तो यह एक अभूतपूर्व स्थिति होगी। जानें इस मुद्दे पर आगे क्या हो सकता है।
 | 
संयुक्त संसदीय समिति का गठन न होने से विपक्ष में बढ़ी असहमति

संयुक्त संसदीय समिति का गठन

संसद का सत्र समाप्त हुए दो सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन गिरफ्तारी और 30 दिन की हिरासत से संबंधित तीन विधेयकों पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन नहीं हो पाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को पेश करते हुए इन्हें जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे लोकसभा ने स्वीकृति दी थी। सत्र समाप्त होने के लगभग 10 दिन बाद, स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी दलों से जेपीसी के लिए नाम भेजने का अनुरोध किया, लेकिन अब तक किसी भी पार्टी ने नाम नहीं भेजा है। कई विपक्षी दलों ने पहले दिन से ही इन विधेयकों का विरोध शुरू कर दिया था और जेपीसी के बहिष्कार की घोषणा की थी, हालांकि कांग्रेस ने इसमें भाग लिया था। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस भी बहिष्कार की दिशा में बढ़ रही है।


कांग्रेस की स्थिति

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, पार्टी ‘इंडिया’ ब्लॉक के प्रमुख सहयोगियों को नाराज नहीं करना चाहती, इसलिए उसने स्पीकर की अपील के बावजूद नाम नहीं भेजा है। पहले कांग्रेस सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कांग्रेस का मानना है कि यदि विपक्ष जेपीसी में भाग नहीं लेता है, तो भी यह कानून पारित होगा। संभव है कि सरकार सत्तापक्ष के साथ-साथ उन दलों को भी शामिल करे, जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।


विपक्ष का बहिष्कार

हालांकि, कांग्रेस की यह दलील तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और शिवसेना को स्वीकार्य नहीं है। इन दलों ने जेपीसी के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने याद दिलाया कि जब कांग्रेस ने बोफोर्स मामले की जांच के लिए जेपीसी बनाई थी, तब भी कई दलों ने उसका बहिष्कार किया था। कम्युनिस्ट पार्टी में से सीपीआई ने भी जेपीसी के बहिष्कार की घोषणा की है। सबसे बड़ी पार्टी सीपीएम का अभी निर्णय आना बाकी है।


भविष्य की संभावनाएँ

यदि कांग्रेस भी जेपीसी के बहिष्कार का निर्णय लेती है, तो यह एक अभूतपूर्व स्थिति होगी। इससे समूचा ‘इंडिया’ ब्लॉक इसका बहिष्कार करेगा, जिसमें लगभग 230 सांसद लोकसभा में हैं। राज्यसभा में भी इनकी संख्या महत्वपूर्ण है। जल्द ही इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। यदि पूरा विपक्ष बहिष्कार करता है, तो इसके खिलाफ आंदोलन होगा और सरकार पर इसे वापस लेने का दबाव बनाया जाएगा, जिससे एक नया टकराव शुरू हो सकता है।