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संविधान दिवस पर पीएम मोदी का संदेश: कर्तव्यों की अहमियत पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर एक पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने संविधान के महत्व और नागरिकों के कर्तव्यों पर जोर दिया। उन्होंने संविधान को अपनाने की ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए, इसकी शक्ति और प्रभाव को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने महान व्यक्तित्वों की याद दिलाते हुए, युवाओं को लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी का अहसास कराया। जानें उनके विचार और संदेश के बारे में अधिक जानकारी।
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संविधान दिवस पर पीएम मोदी का संदेश: कर्तव्यों की अहमियत पर जोर

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री का पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर एक पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने 1949 में संविधान को अपनाने की ऐतिहासिक घटना को याद किया और इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि 2015 में सरकार ने इस महत्वपूर्ण दस्तावेज का सम्मान करने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।


संविधान की शक्ति और सम्मान

पीएम मोदी ने बताया कि संविधान ने आम नागरिकों को देश की सेवा के उच्चतम स्तर तक पहुंचने में सक्षम बनाया है। उन्होंने संसद और संविधान के प्रति अपने सम्मान के अनुभव साझा किए, जिसमें 2014 में संसद की सीढ़ियों पर झुकने और 2019 में संविधान को अपने माथे पर लगाने की यादें शामिल थीं। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान ने अनगिनत लोगों को अपने सपनों को देखने और उन्हें पूरा करने की शक्ति दी है।


संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की, विशेष रूप से डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और अन्य प्रमुख महिला सदस्यों का उल्लेख किया, जिनके दृष्टिकोण ने संविधान को समृद्ध बनाया। उन्होंने संविधान की 60वीं और 75वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों का भी जिक्र किया, जिनमें व्यापक जन भागीदारी देखी गई।


महत्वपूर्ण मील के पत्थर

इस वर्ष के संविधान दिवस का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह और श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत के साथ मेल खाता है।


कर्तव्यों की याद दिलाते हुए

पीएम मोदी ने कहा कि ये महान व्यक्तित्व और मील के पत्थर हमें हमारे कर्तव्यों की अहमियत की याद दिलाते हैं, जैसा कि संविधान के आर्टिकल 51 'ए' में बताया गया है। उन्होंने महात्मा गांधी के इस विश्वास को भी याद किया कि अधिकार, कर्तव्यों को निभाने से मिलते हैं।


भविष्य की ओर देखते हुए

भविष्य की ओर देखते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि इस सदी की शुरुआत के 25 साल बीत चुके हैं, और भारत जल्द ही गुलामी से आजादी के 100 साल पूरे करेगा। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें क्योंकि भारत 'विकसित भारत' के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।


लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री ने वोट के अधिकार का उपयोग करके लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी पर जोर दिया और सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज 18 साल के होने पर पहली बार वोट देने वालों का सम्मान करें। उन्होंने विश्वास जताया कि युवाओं को जिम्मेदारी और गर्व से प्रेरित करने से लोकतांत्रिक मूल्य और देश का भविष्य मजबूत होगा।


संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, "संविधान दिवस पर, हम अपने संविधान बनाने वालों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनका विजन और दूर की सोच हमें एक विकसित भारत बनाने की हमारी कोशिश में मोटिवेट करती रहती है।


संविधान के मूल्यों का सम्मान

हमारा संविधान मानवीय गरिमा, बराबरी और आजादी को सर्वोच्च महत्व देता है। यह हमें अधिकार तो देता है, साथ ही हमें नागरिक के तौर पर हमारी जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है। आइए हम अपने कार्यों से संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने का वादा दोहराएं।