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संविधान संशोधन विधेयक पर जेपीसी गठन में देरी, सरकार का नया विकल्प

संविधान संशोधन विधेयक पर जेपीसी का गठन अभी तक नहीं हो पाया है, जिससे सरकार नए विकल्पों पर विचार कर रही है। विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच, सरकार बिना विपक्ष के जेपीसी बनाने की संभावनाओं पर चर्चा कर रही है। जानें इस मुद्दे पर क्या हो रहा है और आगे क्या हो सकता है।
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संविधान संशोधन विधेयक पर जेपीसी गठन में देरी, सरकार का नया विकल्प

संविधान संशोधन विधेयक का मामला

संविधान संशोधन विधेयक, जो मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करने के बाद 30 दिन की हिरासत में रखने का प्रावधान करता है, पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और उसी दिन इसे जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे लोकसभा ने स्वीकृति दी थी। हालांकि, दो महीने बीत जाने के बावजूद जेपीसी का गठन नहीं हो सका है। स्पीकर ओम बिरला ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर जेपीसी के लिए नाम भेजने का अनुरोध किया था, लेकिन किसी भी पार्टी ने नाम नहीं भेजे। इस बीच, सभी विपक्षी दलों ने जेपीसी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पहले ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कांग्रेस अन्य सहयोगी दलों को मनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन अंततः वह भी पीछे हट गई। कांग्रेस के इनकार के बाद, डीएमके, राजद, जेएमएम जैसी अन्य पार्टियों का भी रुख स्पष्ट हो गया है।


सरकार का नया विचार

कांग्रेस के इनकार के बाद, सरकार यह विचार कर रही है कि क्या विपक्ष के बिना जेपीसी का गठन किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार बिना विपक्ष के जेपीसी बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह विधेयक सरकार के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल में रहते हुए सरकार का संचालन न कर सके। जैसे कि अरविंद केजरीवाल ने किया था, उन्हें इस्तीफा देना होगा या 30 दिन की हिरासत के बाद नए कानून के तहत हटाया जा सकेगा। सरकार इस प्रक्रिया को आम सहमति से करना चाहती है, इसलिए वह जेपीसी का गठन करना चाहती है।


जेपीसी गठन की संभावनाएं

सूत्रों के अनुसार, सरकार भाजपा और एनडीए की सहयोगी पार्टियों के अलावा उन पार्टियों के सदस्यों को शामिल करने की कोशिश कर सकती है जो विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा नहीं हैं। बताया जा रहा है कि कई पार्टियों के साथ सरकार के प्रबंधकों की बातचीत चल रही है। सहमति बनने के बाद, सभी पार्टियां अपने सदस्यों के नाम स्पीकर को भेजेंगी और स्पीकर जेपीसी का गठन करेंगे। भाजपा के साथ पहले से कई प्रमुख पार्टियां हैं, जैसे जनता दल यू, टीडीपी, अन्ना डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, लोजपा, जनसेना, जेडीएस आदि। इसके अलावा, जेपीसी में बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति के सदस्यों को भी शामिल किया जा सकता है। ये पार्टियां विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी भाजपा के नेताओं की बातचीत चल रही है। यदि बिना विपक्ष के जेपीसी का गठन होता है, तो यह भारत के संसदीय इतिहास में एक अनोखी घटना होगी।