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संसद का मानसून सत्र: सरकार ने बदली रणनीति, विधायी कार्य जारी रहेगा

संसद का मानसून सत्र 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है, लेकिन केवल दो दिन ही कामकाज हो पाया है। विपक्ष के हंगामे के बीच, सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए विधायी कार्य जारी रखने का निर्णय लिया है। कल से नए बिल पास कराने की प्रक्रिया शुरू होगी, जबकि विपक्ष की मांगें भी अनसुनी नहीं की जाएंगी। जानें इस सत्र में क्या हो सकता है आगे और कैसे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ सकता है।
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संसद का मानसून सत्र: सरकार ने बदली रणनीति, विधायी कार्य जारी रहेगा

संसद का 11वां दिन: हंगामे के बीच विधायी कार्य

Monsoon Session: आज संसद का मानसून सत्र का 11वां दिन है। इस दौरान केवल दो दिन ही कामकाज हो पाया है। जैसे ही संसद की कार्यवाही शुरू होती है, विपक्ष का हंगामा शुरू हो जाता है, जिसके कारण कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है। लेकिन अब सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव करने का निर्णय लिया है। सरकार ने तय किया है कि विपक्ष का हंगामा होने पर भी विधायी कार्य को नहीं रोका जाएगा। कल से सरकार संसद में नए बिल पास कराने की प्रक्रिया में आगे बढ़ेगी। आज लोकसभा की कार्यवाही फिर से 5 अगस्त सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई है।


सरकार की नई रणनीति

संसद में गतिरोध जारी है। विपक्ष SIR पर चर्चा की मांग कर रहा है, जिससे रोजाना की कार्यवाही बाधित हो रही है। लेकिन अब सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सूत्रों के अनुसार, कल से सत्ता पक्ष संसद में आवश्यक विधायी कार्यों को आगे बढ़ाएगा, भले ही विपक्ष का शोर-शराबा जारी रहे। लोकसभा अध्यक्ष ने गतिरोध समाप्त करने के लिए बैठक भी बुलाई थी, लेकिन विपक्ष ने हंगामा रोकने का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। ऐसे में सरकार अब 'एक्शन मोड' में आ चुकी है।


संघर्ष की संभावना

सरकार के पास मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक हैं जिन्हें पास कराना आवश्यक है। अब यह स्पष्ट है कि यह सब कुछ हंगामे के बीच ही किया जाएगा। कुल मिलाकर कल से संसद में संघर्ष और तेज होने की संभावना है। एक ओर सरकार बिल पास कराने पर अडिग है, वहीं विपक्ष भी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता, जिससे टकराव और बढ़ सकता है।


आज की कार्यवाही के दौरान मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 'आज सदन की स्थिति देखकर मुझे दुख हो रहा है।' उन्होंने विपक्ष के हंगामे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'आप केवल वह नहीं कह रहे हैं, जो आप कहना चाहते हैं, बल्कि सदन का समय भी बर्बाद कर रहे हैं।'