संसद में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर अमित शाह का जोरदार जवाब

संसद में हंगामा और तीखी बहस
नई दिल्ली। संसद में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस चल रही है। बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अपने संबोधन की शुरुआत की, जिसके दौरान विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की। इस हंगामे के बीच शाह और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच भी तीखी बहस हुई। कुछ समय बाद विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट कर दिया। राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि पहलगाम में हमारे नागरिकों को धर्म पूछकर और चुन-चुन कर मारा गया, मैं उन सभी दिवंगत नागरिकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी में कुछ नागरिक हताहत हुए, उनके परिवारों के प्रति भी हम गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।
अमित शाह का सुरक्षा बलों को धन्यवाद
उन्होंने आगे कहा, ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव के लिए जिन सुरक्षा बलों ने भारत का मान बढ़ाया है, उन सभी को हम दिल से धन्यवाद देना चाहते हैं। मैं पीएम नरेंद्र मोदी का भी अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने देश की 140 करोड़ जनता की इच्छाओं के अनुरूप सटीक जवाब देने की दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई। मुझे पता है कि विपक्ष क्यों भाग रहा है, क्योंकि उन्होंने इतने वर्षों तक अपनी वोटबैंक के चक्कर में आतंकवाद को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए वे इस बहस को सुन नहीं सकते हैं।
चिदंबरम पर अमित शाह का हमला
अमित शाह ने कहा, चिदंबरम जी ने एक सवाल उठाया कि आतंकवादियों के पाकिस्तानी होने के क्या सबूत हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के औचित्य को चुनौती दी। इससे एक गंभीर सवाल उठता है: चिदंबरम जी किसे बचाने की कोशिश कर रहे थे, पाकिस्तान को, लश्कर-ए-तैयबा को, या खुद आतंकवादियों को? दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन उन्होंने यह सवाल उठाया, उसी दिन आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया, जिससे ऐसे अभियानों की तात्कालिकता और ज़रूरत पर जोर दिया गया। चिदंबरम जी का बयान कांग्रेस पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है, जो वोटबैंक की राजनीति के लिए पाकिस्तान का समर्थन करने, लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को बचाने और आतंकवादियों को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकताएं
गृहमंत्री ने कहा, कांग्रेस पार्टी की मानसिकता को देश की जनता देख रही है। इनकी प्राथमिकता देश की सुरक्षा नहीं, बल्कि राजनीति है। इनकी प्राथमिकता आतंकवाद को समाप्त करना नहीं, बल्कि अपनी वोटबैंक है। इनकी प्राथमिकता हमारी सीमा की सुरक्षा करना नहीं, बल्कि तुष्टिकरण की राजनीति है।