संसद में पहलगाम कांड पर चर्चा: विपक्षी नेताओं की भूमिका और सरकार का लाभ

संसद में बहस का माहौल
केंद्र सरकार ने पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत का पक्ष रखने के लिए 59 नेताओं और राजनयिकों की एक टीम का गठन किया। यह टीम 33 देशों के लिए रवाना हुई, जिससे कई चर्चाएं और विवाद उत्पन्न हुए, क्योंकि इनमें से कई डेलिगेशन का नेतृत्व विपक्षी दलों के नेता कर रहे थे। उनके लौटने के बाद यह सवाल उठता रहा कि इस पहल का क्या लाभ हुआ। हालांकि, घरेलू राजनीति में सत्तापक्ष को इस मामले में काफी फायदा हुआ। संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान इसका लाभ स्पष्ट रूप से देखा गया। कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर के विभाजन और विपक्षी गठबंधन की कमजोरियों को उजागर करने के लिए सरकार ने मनीष तिवारी, शशि थरूर और सुप्रिया सुले जैसे नेताओं का चयन किया।
सुप्रिया सुले का समर्थन
संसद में बहस के दौरान, बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने सरकार की प्रशंसा की। सुप्रिया, जो एक कुशल वक्ता हैं, ने इस बार सरकार का पक्ष लिया। उनके बगल में डीएमके सांसद कनिमोझी बैठी थीं, और सुप्रिया ने कई महत्वपूर्ण बातें उनके संदर्भ में साझा की। उन्होंने बताया कि जब किरेन रिजिजू का फोन आया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें 10 दिन देश के लिए समर्पित करने होंगे। सुप्रिया ने बहस को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरह विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो देश पहले आता है, जबकि पार्टी और परिवार बाद में।
कांग्रेस के भीतर की राजनीति
इसी संदर्भ में, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भारत के निवासी हैं और भारत की बात सुनाते हैं। यह टिप्पणी उन्होंने तब की जब मीडिया में खबर आई कि कांग्रेस ने पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने के लिए उनकी नाम सूची में शामिल नहीं किया। मनीष तिवारी एक डेलिगेशन में विदेश गए थे, इसलिए उन्हें बोलने का मौका नहीं मिला। ध्यान देने योग्य है कि तिवारी सामरिक मामलों पर बोलने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं। कांग्रेस को डर था कि वे सरकार की लाइन का समर्थन करेंगे, जिससे राहुल गांधी का भाषण कमजोर हो सकता है। इसी तरह, शशि थरूर को भी वक्ताओं की सूची से बाहर रखा गया। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस आलाकमान ने कभी भी उनकी राय जानने की कोशिश नहीं की।