सरदार पटेल: लौह पुरुष का जीवन और योगदान
 
                           
                        सरदार पटेल का जीवन परिचय
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को हुआ था। उनकी उपलब्धियों की सूची बहुत लंबी है। वे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और बैरिस्टर थे। भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। सरदार पटेल की जयंती पर उनके जीवन के बारे में जानें और उन रोचक तथ्यों के बारे में जो उन्हें लौह पुरुष के नाम से जानते हैं।
वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष क्यों कहा जाता है
भारत के एकीकरण में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें "लौह पुरुष" की उपाधि दी गई। पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के करमसद और नडियाद में प्राप्त की। बाद में वे इंग्लैंड गए, जहाँ उन्होंने बार-एट-लॉ की डिग्री हासिल की। भारत लौटने पर उन्होंने वकालत में एक बड़ा नाम बनाया।
महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर, पटेल ने अपने जीवन को देशसेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अहमदाबाद किसान आंदोलन और बारडोली सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया, जिसके कारण उन्हें "सरदार" की उपाधि मिली।
देश के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री
स्वतंत्रता के बाद, सरदार पटेल पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने। उन्होंने 562 रियासतों को एकजुट करके एक भारत का निर्माण किया, जिसके कारण उन्हें "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है।
विरासत और सम्मान
उनकी याद में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। गुजरात के केवड़िया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, जो 182 मीटर ऊँची है, दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति है और यह सरदार पटेल को समर्पित है।
सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ। उस दिन सुबह 3 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया और वे बेहोश हो गए। चार घंटे बाद जब वे होश में आए, तो उन्होंने पानी मांगा। मणिबेन ने उन्हें गंगा जल में शहद मिलाकर दिया। रात 9:37 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
