सर्वोच्च न्यायालय ने बीएलओ की मौतों पर जताई चिंता, राज्य सरकारों को दिए निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय की चिंता
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की मृत्यु पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कई बीएलओ ने आत्महत्या कर ली है।
राज्य सरकारों को निर्देश
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में पीठ ने राज्य सरकारों को बीएलओ की कार्य स्थितियों और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि "जहां 10,000 कर्मचारी तैनात हैं, वहां 30,000 भी तैनात किए जा सकते हैं," जिससे कार्यभार और दबाव कम होगा।
छुट्टी और नियुक्ति के निर्देश
न्यायालय ने यह भी कहा कि बीएलओ को, विशेषकर यदि वे बीमार हैं या अक्षम हैं, छुट्टी दी जाए और उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाए। यदि राहत नहीं दी जाती है, तो बीएलओ अदालत में संपर्क कर सकते हैं। यह निर्देश अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम की याचिका के बाद दिया गया है, जो अगले साल तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भाग लेने की योजना बना रही है।
पुलिस मामलों की संख्या
टीवीके ने अदालत का रुख किया था, जिसमें बताया गया कि अकेले उत्तर प्रदेश में बीएलओ के खिलाफ 50 से अधिक पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं। पार्टी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि वह कठोर कार्रवाई न करे।
चुनाव आयोग की स्थिति
हालांकि, अदालत ने बीएलओ की मौतों के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराने की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बीएलओ राज्य सरकार के कर्मचारी हैं। चुनाव आयोग ने याचिका को "पूरी तरह से झूठा और निराधार" बताया।
आगामी चुनावों की तैयारी
तमिलनाडु और केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी मतदान होगा। बंगाल में 2026 में चुनाव होंगे, जहां बीएलओ की मौतों की और भी खबरें आ रही हैं।
बंगाल में मतदाता सूचियों के पुनः सत्यापन को लेकर एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्ष ने चुनाव आयोग और भाजपा पर मतदाताओं के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
