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सांसद मीत हेयर ने पंजाब के मुद्दों पर संसद में उठाई आवाज

सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की सीनेट में बदलाव और पंजाब को बाढ़ राहत पैकेज से वंचित रखने के मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई। उन्होंने केंद्र सरकार से सभी राज्यों की सहमति और प्रतिनिधिता सुनिश्चित करने की मांग की। मीत हेयर ने बिहार में बाढ़ राहत पैकेज का उदाहरण देते हुए पंजाब के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने फंड वितरण में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी से संबंधित निर्णय राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं लिए जा सकते।
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सांसद मीत हेयर ने पंजाब के मुद्दों पर संसद में उठाई आवाज

पंजाब यूनिवर्सिटी और बाढ़ राहत पर चर्चा

चंडीगढ़/नई दिल्ली - संगरूर से लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की सीनेट में बदलाव और पंजाब को बाढ़ राहत पैकेज से वंचित रखने के मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को निर्णय लेते समय संबंधित राज्यों की सहमति और सभी राज्यों की उचित प्रतिनिधिता सुनिश्चित करनी चाहिए।


मीत हेयर ने आज ‘पुनर्विचार एवं संशोधन बिल 2025’ पर बहस में भाग लेते हुए बताया कि 71 कानूनों में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने सभी राज्यों को समान हिस्सेदारी देने के लिए संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया।


उन्होंने कहा कि जैसे जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है, उसी तरह अन्य मामलों में भी राज्यों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। मीत हेयर ने पंजाब में आई भयानक बाढ़ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब बिहार में दो साल पहले बाढ़ आई थी, तब 12 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया गया था, लेकिन पंजाब के साथ भेदभाव किया गया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं किसी भी राज्य में यह देखकर नहीं आतीं कि वहां भाजपा की सरकार है या नहीं। उन्होंने फंड जारी करने में पक्षपात न करने की अपील की और कहा कि फंडों के वितरण का निर्णय करने वाली समिति में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए।


मीत हेयर ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में पंजाब को बिना विश्वास में लिए पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की सीनेट को तोड़ने का प्रयास किया, जिसे राज्य में विरोध के कारण वापस लेना पड़ा। उन्होंने बताया कि पंजाब पुनर्गठन कानून के अनुसार, पंजाब यूनिवर्सिटी से संबंधित कोई भी निर्णय राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं लिया जा सकता।