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साकेत गोखले ने लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से मांगी माफी, मानहानि मामला समाप्त

तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से बिना शर्त माफी मांगकर एक मानहानि मामले को समाप्त कर दिया है। यह मामला 2021 में गोखले के ट्वीट्स से शुरू हुआ था, जिसमें पुरी पर झूठे आरोप लगाए गए थे। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर यह माफी दी गई, जिसमें गोखले को ₹50 लाख का हर्जाना भी दिया गया। यह घटना विपक्षी नेताओं के बिना सबूत के आरोप लगाने के पैटर्न को उजागर करती है। जानें इस मामले के पीछे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
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साकेत गोखले ने लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से मांगी माफी, मानहानि मामला समाप्त

माफी का मामला और उसके परिणाम

तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगकर एक लंबे समय से चल रहे मानहानि मामले को समाप्त कर दिया। 2021 में गोखले के ट्वीट्स में पुरी पर स्विट्जरलैंड के जेनेवा में संपत्ति खरीदने के संबंध में झूठे आरोप लगाए गए थे।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह माफी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर दी गई, जब गोखले को बार-बार देरी और अनुपालन न करने के लिए नागरिक हिरासत की चेतावनी दी गई थी। अदालत ने गोखले को ₹50 लाख का हर्जाना भी दिया और उन्हें आगे कोई मानहानिकारक टिप्पणी करने से रोका।


आरोपों का चक्र और राजनीतिक रणनीति

आरोप, विवाद और माफी का चक्र

यह मामला अकेला नहीं है, बल्कि यह विपक्षी नेताओं के एक पैटर्न को दर्शाता है, जहां बिना सबूत के उत्तेजक आरोप लगाए जाते हैं और जब तथ्य सामने आते हैं, तो माफी मांग ली जाती है। राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं ने बार-बार इसी रणनीति का पालन किया है। विवाद उत्पन्न करो, मीडिया में चर्चा बटोरो, और कानूनी दबाव बढ़ने पर चुपके से माफी मांग लो।


राहुल गांधी की माफी के उदाहरण

राहुल गांधी की बार-बार की माफी

2014 में, राहुल गांधी ने RSS को महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो उन्हें स्पष्ट करना पड़ा कि उनका बयान RSS से जुड़े व्यक्तियों पर था, न कि संगठन पर। मुकदमे के दौरान उन्होंने अपने दावे वापस ले लिए। 2016 में, उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया। जनता के आक्रोश के बाद, उन्हें यह स्पष्ट करना पड़ा कि वह सशस्त्र बलों का समर्थन करते हैं।


कांग्रेस नेताओं की माफी का सिलसिला

कांग्रेस नेताओं की माफी का सिलसिला

राहुल गांधी अकेले नहीं हैं। मणिशंकर अय्यर, जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को भी बिना सबूत के बयान देने के बाद माफी मांगनी पड़ी। 2017 में, अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को अपमानित किया, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया। 2019 में, जयराम रमेश ने बिना पुष्टि के आरोप लगाए, जिसके बाद उन्हें लिखित माफी देनी पड़ी।


सार्वजनिक विश्वास पर प्रभाव

सार्वजनिक विश्वास पर सवाल

साकेत गोखले की माफी इस व्यापक समस्या का एक उदाहरण है, जिसमें बिना सत्यापन के दावे और सनसनीखेज बयानबाजी शामिल हैं। यह सवाल उठता है कि बिना आधार के आरोपों और देर से मांगी गई माफी का यह चक्र कब तक चलेगा, और यह कब तक जनता का विश्वास खो देगा?