सारथी प्रोजेक्ट: चंडीगढ़ से शुरू होकर 1,467 अस्पतालों में लागू

सारथी प्रोजेक्ट का विस्तार
सारथी प्रोजेक्ट, जो पिछले साल मई में पीजीआई चंडीगढ़ में शुरू हुआ था, अब देशभर के 1,467 अस्पतालों में लागू किया जाएगा: यह प्रोजेक्ट अब 30 राज्यों के 646 अस्पतालों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित हो चुका है। चंडीगढ़ में 18 संस्थानों के 816 छात्रों ने मिलकर 50,340 घंटे की सेवा प्रदान की है।
प्रोजेक्ट के लाभ
इस पहल के परिणामस्वरूप मरीजों का औसत प्रतीक्षा समय 4.2 घंटे से घटकर 2.8 घंटे रह गया है। मरीजों और उनके परिवारों की संतुष्टि में वृद्धि हुई है, और अस्पताल के कर्मचारियों की कार्यक्षमता में सुधार हुआ है। छात्र गैर-चिकित्सकीय कार्यों में सहायता कर रहे हैं, और इस प्रोजेक्ट में देशभर में 6,444 छात्र शामिल हैं।
सारथी प्रोजेक्ट की विशेषताएँ
17 सितंबर से 31 मई के बीच 551 अस्पतालों में इस प्रोजेक्ट का कार्य पूरा हो चुका है। वर्तमान में 95 अस्पतालों में यह प्रोजेक्ट जारी है, जिनमें से 81 स्थायी ईएलपी केंद्र हैं। सारथी प्रोजेक्ट का एक साल पूरा होने पर पीजीआई ने इसकी सफलता और इसके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी साझा की।
सेवा और शिक्षा का संगम
यह प्रोजेक्ट मरीजों को अस्पतालों में मार्गदर्शन प्रदान करने और युवाओं को सेवा के लिए प्रेरित करने का एक अनूठा मॉडल है। इसे 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1,467 अस्पतालों में लागू किया जाएगा। यह 'सेवा से सीखें' कार्यक्रम के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।
सरकारी सहयोग
इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा युवा मामले और खेल मंत्रालय का सहयोग भी शामिल है। पीजीआई के डिप्टी डायरेक्टर (एडमिनिस्ट्रेशन) पंकज राय ने बताया कि यह योजना चंडीगढ़ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य अस्पतालों में मरीजों की सहायता के लिए वॉलंटियर छात्रों को प्रशिक्षित करना था।
युवाओं की सामाजिक जिम्मेदारी
पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि प्रोजेक्ट सारथी मरीजों को अस्पताल में सही मार्गदर्शन देने और युवाओं को सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ने का एक अनोखा मॉडल बन गया है। इससे मरीज और उनके परिजन अस्पताल में आते ही सुरक्षित महसूस करते हैं, और छात्रों को समाज सेवा का अवसर मिलता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में यह प्रोजेक्ट अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है।
प्रोजेक्ट का विस्तार
यह योजना अंडमान-निकोबार, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू या प्रगति पर है।
माय भारत पोर्टल
माय भारत पोर्टल पर 1,467 अस्पतालों को इस प्रोजेक्ट के लिए जोड़ा गया है। सरकार और संस्थानों के सहयोग से यह मॉडल आगे और विस्तार की ओर बढ़ रहा है। यह मरीज केंद्रित सेवा और युवा भागीदारी को जोड़ने वाला एक मजबूत और दोहराया जा सकने वाला मॉडल बन चुका है।