सीजेआई बीआर गवई ने कॉलेजियम प्रणाली की रक्षा की, न्यायिक स्वतंत्रता पर जोर दिया

सीजेआई का बयान
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने हाल ही में ब्रिटेन में एक गोलमेज सम्मेलन में कहा कि कॉलेजियम प्रणाली पर आलोचना होती है, लेकिन किसी भी समाधान को न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायाधीशों को बाहरी दबाव से मुक्त रहना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि न्यायालय की विश्वसनीयता जनता के विश्वास और वैधता के माध्यम से सुरक्षित होती है।
पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता
सीजेआई ने यह भी कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतंत्र के महत्वपूर्ण गुण हैं। वर्तमान में सूचनाएं आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए न्यायपालिका को अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए सुलभ और जवाबदेह बनना आवश्यक है। उन्होंने जजों की निष्पक्षता और रिटायरमेंट के बाद की नियुक्तियों पर चिंता व्यक्त की।
रिटायरमेंट के बाद नियुक्तियों पर सवाल
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि कोई जज रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद स्वीकार करता है या चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देता है, तो यह जनता में संदेह उत्पन्न कर सकता है। इससे न्यायपालिका की निष्क्रियता और स्वतंत्रता पर सवाल उठ सकते हैं। सीजेआई ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी गंभीरता से बात की।
भ्रष्टाचार और जनता का विश्वास
सीजेआई ने कहा कि भ्रष्टाचार की घटनाएं जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। भारत में जब भी ऐसे मामले सामने आए हैं, अदालत ने सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने न्यायिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता के लिए सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने समाचार रिपोर्टिंग के बारे में भी चिंता जताई, यह कहते हुए कि फर्जी खबरें जनता की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। अदालती फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी आवश्यक है।