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सीपी राधाकृष्णन की अध्यक्षता में राज्यसभा में नए नियम लागू

सीपी राधाकृष्णन, जो हाल ही में उप राष्ट्रपति बने हैं, पहली बार राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यभार संभालेंगे। संसद के आगामी सत्र से पहले, नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें सदस्यों को सभापति की रूलिंग की आलोचना करने से रोका गया है। विपक्षी दल इस पर नाराजगी जता रहे हैं, यह मानते हुए कि यह उनकी आवाज को दबाने का प्रयास है। जानें इन नए नियमों का सदन की कार्यवाही पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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सीपी राधाकृष्णन की अध्यक्षता में राज्यसभा में नए नियम लागू

राज्यसभा का संचालन और नए नियम

सीपी राधाकृष्णन, जो देश के नए उप राष्ट्रपति हैं, पहली बार राज्यसभा के सभापति के रूप में उच्च सदन का संचालन करेंगे। उन्हें 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद उप राष्ट्रपति के पद पर चुना गया। संसद का अगला सत्र एक दिसंबर से शुरू होने वाला है। इससे पहले, राधाकृष्णन ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की, जिससे यह प्रतीत होता है कि वे सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी अध्यक्षता में राज्यसभा का कार्य कैसे संचालित होता है, यह देखना दिलचस्प होगा, खासकर जब हाल के समय में सदनों के बीच गहरा गतिरोध बना हुआ है, जिसका प्रभाव कार्यवाही पर पड़ता है।


हालांकि, संसद के सत्र शुरू होने से पहले राज्यसभा का नया बुलेटिन जारी किया गया है, जिसमें कई नए नियम शामिल हैं। इन नियमों के अनुसार, अब सदस्य सभापति की रूलिंग की आलोचना नहीं कर सकेंगे। यदि सभापति ने कोई निर्णय लिया है, तो सदस्य सदन के भीतर या बाहर उसकी आलोचना नहीं कर सकते। विपक्षी दल इस पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं, उनका मानना है कि यह विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास है। उदाहरण के लिए, यदि सदस्यों ने काम रोको प्रस्ताव या चर्चा का प्रस्ताव दिया और सभापति ने उसे खारिज कर दिया, तो सांसद इस पर सवाल नहीं उठा सकेंगे। पहले, भले ही आसन की रूलिंग में बदलाव नहीं होता था, लेकिन सांसदों को उस पर सवाल उठाने का अधिकार था। इसके अलावा, राज्यसभा बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि सदन की कार्यवाही के दौरान सदस्य 'थैंक्यू', 'जय हिंद', 'वंदे मातरम' जैसे नारे नहीं लगाएंगे।