सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, भाजपा की दक्षिणी रणनीति को दर्शाते हैं

भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सीपी राधाकृष्णन का चुनाव
भारत के उपराष्ट्रपति: मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा के एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार, पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को हराकर यह पद प्राप्त किया। वोटों की गिनती में राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। यह जीत तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्य से एक नेता को इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर लाकर पार्टी के रणनीतिक विस्तार को भी दर्शाती है।
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया, जो तेलंगाना से हैं और दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। रेड्डी ने इस चुनाव को विचारधाराओं की लड़ाई के रूप में पेश करने का प्रयास किया और भाजपा पर "संविधान विरोधी" होने का आरोप लगाया। हालांकि, उनकी यह रणनीति सफल नहीं हुई। एनडीए के पास पहले से ही पर्याप्त संख्याबल था, जिससे यह चुनाव एक औपचारिक प्रक्रिया बनकर रह गया। उपराष्ट्रपति का पद, जो मुख्य रूप से औपचारिक होता है, इस बार भी एक प्रतीकात्मक मुकाबले का गवाह बना।
President Droupadi Murmu congratulates CP Radhakrishnan on winning the 2025 Vice Presidential election.
— News Media (@NewsMedia) September 9, 2025
"Your decades of rich experience in public life will contribute significantly to the nation’s progress. I extend my best wishes to you for a successful and impactful… pic.twitter.com/bGHEf6gZri
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन, जो तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे, एक समर्पित आरएसएस कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ अपनी यात्रा शुरू की। व्यवसाय प्रशासन में स्नातक की डिग्री रखने वाले राधाकृष्णन ने अपनी राजनीतिक यात्रा को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेज किया। वे 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए, जब तमिलनाडु में द्रविड़ विचारधारा का प्रभुत्व था। राधाकृष्णन की सौम्य और सर्वदलीय छवि ने उन्हें "कोयंबटूर का वाजपेयी" का खिताब दिलाया। एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, "1990 के दशक के अंत में वे केंद्रीय मंत्री बनने की दौड़ में थे, लेकिन नामों में भ्रम के कारण यह मौका चूक गए।" 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद, उन्हें मोदी सरकार ने पहले झारखंड और फिर महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया।
राज्यसभा के सभापति के रूप में नई जिम्मेदारी
उपराष्ट्रपति के रूप में, सीपी राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाएंगे। उनके सहयोगियों ने बताया कि "उनकी मिलनसारिता और गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व ने उन्हें 2004 में तमिलनाडु भाजपा इकाई का प्रमुख बनाया।" यह गुण अब संसद के उच्च सदन में उनकी भूमिका को और प्रभावी बना सकता है। 2023 तक, भाजपा तमिलनाडु में नया नेतृत्व स्थापित करने की दिशा में काम कर रही थी। इस बीच, राधाकृष्णन को पहले झारखंड और फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी यह नई भूमिका दक्षिण भारत में भाजपा की बढ़ती पैठ को दर्शाती है।
भाजपा की दक्षिणी रणनीति का हिस्सा
राधाकृष्णन की जीत अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा की दक्षिणी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। तमिलनाडु में द्रविड़ विचारधारा के प्रभुत्व के बावजूद, पार्टी ने एक अनुभवी और निष्ठावान नेता को इस पद के लिए चुना, जो दक्षिण भारत में इसके विस्तार की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।