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सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी के भाषण पर उठाए सवाल, पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पर की चर्चा

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। श्रीनेत ने पीएम के भाषण में नेहरू और कांग्रेस का बार-बार उल्लेख करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे चीन की भूमिका, को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने सरकार से पूछा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी किसकी है। यह बयान विपक्ष की रणनीति का हिस्सा है, जो सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर जवाबदेह ठहराने के लिए दबाव बना रहा है।
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सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी के भाषण पर उठाए सवाल, पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पर की चर्चा

कांग्रेस नेता की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में दिए गए भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया था। श्रीनेत ने कहा, "पीएम मोदी ने 1 घंटे 42 मिनट तक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने नेहरू जी का 15 बार और कांग्रेस का 50 बार उल्लेख किया, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प या चीन का नाम एक बार भी नहीं लिया।" उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने पीएम को चुनौती दी थी कि "अगर हिम्मत है, तो आकर कहें कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं... लेकिन इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।


पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पर सवाल

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पर सवाल

सुप्रिया श्रीनेत ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, "पहलगाम में जो हमला हुआ, उसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसकी जिम्मेदारी किसकी है?" उनका यह बयान सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीति में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। श्रीनेत ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में महत्वपूर्ण मुद्दों, विशेषकर चीन की भूमिका, को नजरअंदाज किया, जो इस हमले के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकता है.


विपक्ष की रणनीति और सरकार पर दबाव

विपक्ष की रणनीति और सरकार पर दबाव

कांग्रेस की यह आलोचना विपक्ष की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर जवाबदेही के लिए दबाव बना रही है। सुप्रिया श्रीनेत का बयान न केवल पीएम मोदी के भाषण की कमियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विपक्ष इस मुद्दे को संसद और जनता के बीच जोर-शोर से उठाने के लिए तैयार है.


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