सुप्रिया सुले ने विशेष सत्र की मांग पर विपक्ष की चिट्ठी से दूरी बनाई

विशेष सत्र की मांग पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने संसद के विशेष सत्र की मांग की है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस बीच, एनसीपी की वरिष्ठ नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने हाल ही में एक दौरे से लौटने के बाद मीडिया से बातचीत की। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने विपक्ष की चिट्ठी पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए। सुले ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की थी और अनुरोध किया कि इस मांग को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश एक संकट का सामना कर रहा है, तब विशेष सत्र की मांग करना विरोधाभास उत्पन्न कर सकता है। शरद पवार जी का हमेशा कहना है कि देश पहले आता है, और इसी सोच के साथ हमने चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए।
राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के डि-एस्केलेशन बयान पर पूछे गए सवाल पर सुले ने कहा, “मैंने उनका बयान नहीं सुना, लेकिन मैं यह कह सकती हूं कि अन्य देशों के नेताओं ने भारत की शांति प्रयासों की सराहना की है।”
संजय राउत की आलोचना पर पलटवार
शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत द्वारा प्रतिनिधिमंडल पर उठाए गए सवालों पर सुले ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान हमारे प्रतिनिधिमंडल की नकल कर रहा है, तो यह इस प्रयास की सबसे बड़ी सराहना है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का प्रभाव स्पष्ट है, इसलिए इसे रिसर्च के साथ समझा जाना चाहिए।”
भारत की वैश्विक भूमिका
सुले ने कहा कि भारत गांधी के युग से ही वैश्विक शांति का नेतृत्व कर रहा है। हमारा प्रतिनिधिमंडल सर्वदलीय था, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल थे। हमारा एक ही उद्देश्य था: सच को दुनिया के सामने लाना।
विपक्ष में दरार की बात को किया खारिज
विपक्ष में फूट की अटकलों पर सुप्रिया सुले ने कहा, “यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है। जब हम सब भारत लौटेंगे, तब एक बैठक होगी और सब स्पष्ट हो जाएगा कि दरार है या नहीं।”
भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान
उन्होंने कहा कि दुनिया हमें महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और प्रधानमंत्री मोदी के नाम से जानती है। विभिन्न देशों के नेताओं ने पीएम मोदी के साथ अपनी बातचीत और आतंकवाद के खिलाफ भारत की भूमिका की प्रशंसा की है। यह स्पष्ट है कि सुप्रिया सुले की प्राथमिकता इस समय राजनीतिक लाभ नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और वैश्विक मंच पर भारत की सकारात्मक छवि बनाए रखना है।