सुप्रीम कोर्ट का ट्रंप के नागरिकता आदेश पर बड़ा फैसला

ट्रंप का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के आरंभ में एक महत्वपूर्ण एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए थे। इस आदेश में यह प्रावधान था कि अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी, यदि उनके माता-पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिका में जन्मे बच्चों को स्वचालित रूप से नागरिकता नहीं मिलेगी। पहले, अमेरिका में जन्मे सभी बच्चों को नागरिकता स्वतः मिल जाती थी, जिसे बर्थराइट सिटिजनशिप कहा जाता है। ट्रंप ने इसी प्रथा को समाप्त करने का प्रयास किया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
27 जून 2025 को, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 के बहुमत से ट्रंप के इस आदेश का समर्थन किया। कोर्ट ने मैरीलैंड, मैसाचुसेट्स और वॉशिंगटन राज्य के फेडरल जजों द्वारा जारी तीन नेशनवाइड इंजंक्शन को कम करने का आदेश दिया। इन जजों ने ट्रंप के आदेश को लागू होने से रोकने का प्रयास किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन जजों को अपने आदेशों की वैधता पर पुनर्विचार करना होगा।
ट्रंप के आदेश का विरोध
ट्रंप का यह आदेश बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने का प्रयास है। बर्थराइट सिटिजनशिप का अर्थ है कि अमेरिका में जन्मा हर बच्चा, चाहे उसके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो, स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिक बन जाता था। यह अधिकार अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत दिया गया है, जो सिविल वॉर के बाद लागू हुआ था।
इस आदेश के कारण हर साल लगभग 150,000 नवजात बच्चे अमेरिकी नागरिकता से वंचित हो जाएंगे। इस आदेश का विरोध 22 डेमोक्रेटिक राज्यों के अटॉर्नी जनरल, इमिग्रेंट राइट्स समूहों और गर्भवती इमिग्रेंट्स ने किया था।
जजों की शक्तियों पर अंकुश
कई फेडरल जजों ने ट्रंप के इस आदेश को रोकने के लिए नेशनवाइड इंजंक्शन जारी किए थे, जिससे पूरे देश में इस आदेश को लागू होने से रोका गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने जजों की इस शक्ति को सीमित कर दिया है। अब जजों के लिए किसी नीति को पूरे देश में रोकना कठिन हो सकता है, जिससे ट्रंप को अपनी नीतियों को लागू करने में सहायता मिलेगी।
इसका संभावित प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ट्रंप के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, क्योंकि इससे उनके एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को लागू करने में कम बाधाएं आएंगी। हालांकि, कोर्ट ने अभी ट्रंप के आदेश की कानूनी वैधता पर कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया है और इसे लागू होने में 30 दिन का समय लगेगा। इस दौरान निचली अदालतें इस पर पुनर्विचार करेंगी।
इस निर्णय से बर्थराइट सिटिजनशिप पर बहस और बढ़ सकती है। कई लोग इसे असंवैधानिक मानते हैं, क्योंकि यह 14वें संशोधन के खिलाफ जाता है। दूसरी ओर, ट्रंप का कहना है कि यह आदेश अमेरिकी नागरिकता के मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है।