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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आवारा कुत्तों को स्कूलों और अस्पतालों से हटाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों को स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थलों से हटाने का आदेश दिया है। यह निर्णय उन बढ़ते मामलों के संदर्भ में आया है, जहां आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। अदालत ने निर्देश दिया है कि इन कुत्तों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में रखा जाए और उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस नहीं छोड़ा जाए। जानें इस फैसले के पीछे की वजहें और इसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आवारा कुत्तों को स्कूलों और अस्पतालों से हटाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय


नई दिल्ली: देश में आवारा कुत्तों से संबंधित बढ़ती समस्याओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि सभी शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, रेलवे और बस स्टेशनों, खेल परिसरों और अन्य सार्वजनिक स्थलों के आसपास से आवारा कुत्तों को पूरी तरह से हटा दिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित आश्रय स्थलों में रखा जाना चाहिए और उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए।


कुत्तों को वापस छोड़ने पर प्रतिबंध

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि जब तक इन कुत्तों को सुरक्षित बाड़ों वाले शेल्टर में नहीं रखा जाता, तब तक सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि कुत्तों को जहां से पकड़ा गया है, उन्हें अब वहां वापस नहीं छोड़ा जाएगा, चाहे वह स्कूल का परिसर हो या बस स्टैंड।


राज्यों को संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश

कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्रों में सरकारी और निजी विद्यालयों, कॉलेजों, खेल परिसरों, अस्पतालों और अन्य प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों की सूची तैयार करें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन परिसरों के आसपास से सभी आवारा कुत्तों को हटाया जाए, ताकि बच्चों, महिलाओं, वृद्धों और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


जिला मजिस्ट्रेटों को बाड़ लगाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया है कि वे अपने जिले के सभी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों में उचित बाड़बंदी करें। इसमें स्कूल, कॉलेज, खेल के मैदान, बस स्टैंड और अस्पताल शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इन परिसरों में कुत्तों का प्रवेश पूरी तरह से नियंत्रित होना चाहिए। इसके लिए मजबूत और ऊँची बाड़, गेट और सुरक्षा प्रबंध अनिवार्य हैं।


नियमित निरीक्षण की आवश्यकता

अदालत ने सभी संबंधित अधिकारियों को नियमित निरीक्षण करने का आदेश दिया है। निरीक्षण दल यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्कूल, बस स्टेशन, अस्पताल या खेल परिसर में कोई आवारा कुत्ता मौजूद न हो। यदि ऐसा कोई कुत्ता पाया जाता है, तो उसे तुरंत पकड़कर नजदीकी कुत्ता-आश्रय स्थल में भेजा जाएगा।


फैसले का उद्देश्य

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय आवारा कुत्तों के हमलों से बढ़ती चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। स्कूल जाने वाले बच्चे, सुबह-सुबह यात्रा करने वाले लोग और खेल के मैदानों में अभ्यास करने वाले युवा अक्सर इन हमलों का शिकार बनते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाए।