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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए नई समय सीमा निर्धारित की

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 31 जनवरी 2026 तक की समय सीमा निर्धारित की है। अदालत ने चुनाव आयोग को चेतावनी दी है कि चुनावों में और देरी नहीं होनी चाहिए। पिछले तीन वर्षों से चुनाव लंबित हैं, और आयोग ने राजनीतिक कारणों का हवाला दिया है। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए समय पर चुनाव आवश्यक हैं। जानें इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में और क्या कहा गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए नई समय सीमा निर्धारित की

महाराष्ट्र के निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर राज्य चुनाव आयोग को चेतावनी दी है। अदालत ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक नई समय सीमा भी निर्धारित की है। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया है कि राज्य में सभी स्थानीय निकायों के चुनाव 31 जनवरी तक संपन्न होने चाहिए। यह ध्यान देने योग्य है कि महाराष्ट्र में पिछले तीन वर्षों से निकाय चुनावों का आयोजन नहीं हो पाया है, और सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बावजूद राज्य चुनाव आयोग चुनाव कराने में असफल रहा है। इसके पीछे राजनीतिक कारणों का हवाला दिया जा रहा है।


इस बीच, मंगलवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आदेश दिया कि राज्य में सभी स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक आयोजित किए जाएं। उल्लेखनीय है कि 2022 से महाराष्ट्र में जिला परिषद, पंचायत समितियों और नगरपालिकाओं के चुनाव रोक दिए गए थे, जिसका कारण ओबीसी आरक्षण से संबंधित विवाद बताया गया। हालांकि, यह मामला सुलझने के बावजूद आयोग ने चुनाव नहीं कराए।


इस साल छह मई को, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को चार सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था, लेकिन वह समय सीमा पहले ही समाप्त हो चुकी है। इस पर आयोग को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा, 'यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर मुद्दा है और अब किसी भी स्थिति में चुनावों को टाला नहीं जा सकता।' अदालत ने यह भी कहा कि छूट केवल इस बार दी गई है, आगे से कोई बहाना नहीं चलेगा। लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए समय पर चुनाव आवश्यक हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए सभी वार्डों का परिसीमन 31 अक्टूबर तक पूरा होना चाहिए। चुनाव कराने के लिए आवश्यक मशीनों और स्टाफ की जानकारी तुरंत राज्य के मुख्य सचिव को दी जाए। चुनाव आयोग ने अदालत में तर्क दिया था कि ईवीएम की कमी और परीक्षाओं के कारण स्कूलों की बिल्डिंग और स्टाफ की कमी के चलते देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मार्च 2026 में बोर्ड परीक्षा होना चुनाव टालने का कारण नहीं हो सकता।