सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा के विकल्प पर सरकार की अनिच्छा जताई

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट समाचार: मौत की सजा पाए व्यक्तियों के लिए मृत्यु के तरीके के विकल्प पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मामले में तैयार नहीं है। वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि दोषियों को यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे फांसी या जहर के इंजेक्शन से मरना चाहें।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि समस्या यह है कि सरकार इस विकल्प को लागू करने के लिए तैयार नहीं है। कोर्ट ने बताया कि सरकार का मानना है कि दोषियों को जहर के इंजेक्शन का विकल्प देना व्यावहारिक नहीं है।
जहर देने का विकल्प
मल्होत्रा ने अदालत में कहा, 'हमें जहर देने का विकल्प चुनना चाहिए, क्योंकि अमेरिका के 50 में से 49 राज्यों ने इसे अपनाया है।' उन्होंने यह भी कहा कि जहर का इंजेक्शन देना फांसी देने की तुलना में अधिक त्वरित, मानवीय और सभ्य है, क्योंकि फांसी में व्यक्ति का शव लगभग 40 मिनट तक लटका रहता है।
जस्टिस मेहता ने सरकार की ओर से दलील पेश कर रहे वकील से मल्होत्रा की बातों को सरकार तक पहुंचाने का अनुरोध किया। हालांकि, सरकारी वकील ने कहा कि यह विकल्प देना व्यावहारिक नहीं हो सकता। जस्टिस मेहता ने कहा कि समस्या यह है कि सरकार समय के साथ बदलाव के लिए तैयार नहीं है।
वकील ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मई 2023 में पारित आदेश का उल्लेख किया, जिसमें अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि की दलील पर गौर किया गया था कि सरकार इस मुद्दे की समीक्षा के लिए एक समिति की नियुक्ति पर विचार कर रही है। केंद्र के वकील ने कहा कि वे सरकार से निर्देश मांगेंगे कि समिति के संबंध में क्या प्रगति हुई है।
अगली सुनवाई की तारीख
पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि मल्होत्रा ने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने फांसी की प्रथा को समाप्त करने और इसके स्थान पर जहर का इंजेक्शन, गोली, बिजली का झटका या गैस चैंबर जैसे कम दर्दनाक तरीकों को अपनाने की मांग की थी।