सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
असदुद्दीन ओवैसी का बयान: सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने सोमवार को कानून में किए गए तीन महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर अंतिम निर्णय आने तक रोक लगा दी है। नए वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के पारित होने के बाद कई राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों ने इसे चुनौती दी थी।
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है कि किसी व्यक्ति को 5 साल तक मुस्लिम होना चाहिए... किसी भी धर्म के व्यक्ति को दूसरे धर्म को दान देने से रोकने वाला कोई कानून नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 300 के अनुसार, मैं अपनी संपत्ति जिसे चाहूं दे सकता हूं। फिर इस (इस्लाम) धर्म के अनुयायियों के लिए ऐसा प्रावधान क्यों किया गया है?"
#WATCH | हैदराबाद | वक्फ संशोधन अधिनियम पर SC के आदेश पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "SC ने इस प्रावधान पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है कि किसी व्यक्ति को 5 साल तक एक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए... किसी भी धर्म के व्यक्ति को दूसरे धर्म को दान देने से रोकने वाला कोई कानून नहीं है... pic.twitter.com/aJp5TJgz5o
— मीडिया चैनल (@MediaChannel) 15 सितंबर, 2025
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को यह जानकारी देनी चाहिए कि धर्म परिवर्तन के बाद किसने वक्फ को संपत्ति दान की। कलेक्टर की जांच के प्रावधान पर रोक लगा दी गई है, लेकिन कलेक्टर के पास अभी भी सर्वेक्षण करने का अधिकार है।
कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या चार से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि राज्य वक्फ बोर्ड में यह संख्या तीन से ज्यादा नहीं हो सकती। इसके साथ ही, कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे वक्फ बोर्ड में नियुक्त होने वाले सरकारी सदस्यों को प्राथमिकता के आधार पर मुस्लिम समुदाय से ही चुनने की कोशिश करें। इस कदम को वक्फ बोर्ड की संरचना में समुदाय के प्रतिनिधित्व को बनाए रखने की दिशा में एक संतुलित निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।
मामले की सुनवाई और फैसले का विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर दायर पांच याचिकाओं पर गहन सुनवाई की थी। इन याचिकाओं में वक्फ (संशोधन) कानून, 2024 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने 20 से 22 मई, 2025 तक लगातार तीन दिनों तक इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान विभिन्न पक्षों के तर्कों को विस्तार से सुना गया, जिसमें कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां शामिल थीं। 22 मई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, और अब इस पर अंतरिम आदेश जारी किया गया है.