सुप्रीम कोर्ट में बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर सुनवाई

बिहार में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
पटना- बिहार में चुनावों से पहले वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने प्रक्रिया की समय सीमा पर सवाल उठाए। कांग्रेस, आरजेडी और इंडिया गठबंधन की नौ पार्टियों ने वोटर लिस्ट सत्यापन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। वहीं, वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा कि केवल भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण में कुछ भी गलत नहीं है। 2003 में भी ऐसा किया गया था, लेकिन सवाल यह है कि इसे पहले क्यों नहीं किया गया। चुनावों से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों की जा रही है। इस पर चुनाव आयोग के वकील ने उत्तर दिया कि इसमें कोई समस्या नहीं है और समय-समय पर संशोधन आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में नामों को जोड़ने या हटाने के लिए पुनरीक्षण जरूरी है। निर्वाचन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने पूछा कि यदि आयोग के पास संशोधन का अधिकार नहीं है, तो यह कार्य कौन करेगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सवाल नहीं है कि ऐसा क्यों हो रहा है, बल्कि यह है कि इसे पहले क्यों नहीं किया गया। बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और यह मतदान के अधिकार से जुड़ा है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से तीन मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा- क्या उसके पास मतदाता सूची में संशोधन करने का अधिकार है, अपनाई गई प्रक्रिया क्या है, और यह पुनरीक्षण कब किया जा सकता है? इसके अलावा, बेंच ने समय की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले कदम उठाने चाहिए थे, अब थोड़ी देर हो चुकी है। इस पर निर्वाचन आयोग ने न्यायालय से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत नागरिकता की जांच आवश्यक है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने पूछा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है। यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है। उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण में आधार कार्ड को शामिल न करने पर निर्वाचन आयोग से सवाल किया।
इंडिया गठबंधन की पार्टियों, जिसमें कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सीपीएम, एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा शामिल हैं, ने वोटर लिस्ट सत्यापन पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की है। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया से गरीबों और महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। इसके अलावा, दो सामाजिक कार्यकर्ताओं अरशद अजमल और रुपेश कुमार ने भी सत्यापन प्रक्रिया को चुनौती दी है। वहीं, वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग के समर्थन में याचिका दायर की है। उन्होंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट आयोग को निर्देश दे कि सत्यापन इस तरह हो कि केवल भारतीय नागरिक ही वोटर लिस्ट में रहें। उपाध्याय ने कहा कि अवैध घुसपैठ के कारण देश के 200 जिलों और 1500 तहसीलों में जनसंख्या का ढांचा बदल गया है। उनकी याचिका में कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए घुसपैठियों को वोटर लिस्ट से हटाने के लिए सत्यापन जरूरी है।