सोनिया गांधी का मनरेगा पर सरकार पर हमला, रोजगार के अधिकार की रक्षा की मांग
सोनिया गांधी का बयान
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून, जिसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है, को समाप्त कर विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी बिल पास होने के बाद सोनिया गांधी ने इसके खिलाफ एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जरूरतमंदों को रोजगार देने वाले मनरेगा पर बुलडोजर चलाया है। सोनिया गांधी ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा है कि अब किसको, कितना, कहां और किस तरह रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर सरकार तय करेगी।
सोनिया ने अपने संदेश में कहा, ‘संसद में मनरेगा कानून आम राय से पास किया गया था। यह ऐसा क्रांतिकारी कदम था, जिसका फायदा करोड़ों ग्रामीण परिवारों को मिला था। खासतौर पर वंचित, शोषित, गरीब और अतिगरीब लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया बना। रोजगार के लिए अपनी माटी, अपना गांव, अपना घर-परिवार छोड़कर पलायन करने पर रोक लगी। रोजगार का कानूनी हक़ दिया गया, साथ ही ग्राम पंचायतों को ताकत मिली’।
उन्होंने यह भी कहा कि 11 साल में मोदी सरकार ने इसे कमजोर किया। सोनिया ने कहा, ‘11 साल में मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार, गरीबों और वंचितों के हितों को नजरअंदाज कर मनरेगा को कमजोर करने की हर कोशिश की, जबकि कोविड के वक्त ये गरीब वर्ग के लिए संजीवनी साबित हुआ। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि अभी हाल में सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया’। सोनिया गांधी ने कहा, ‘न सिर्फ महात्मा गांधी का नाम हटाया गया, बल्कि मनरेगा का रूप स्वरूप बिना विचार विमर्श किए, बिना किसी से सलाह मशवरा किए, बिना विपक्ष को विश्वास में लिए मनमाने ढंग से बदल दिया गया’।
