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स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में देशभक्ति का अद्भुत उत्सव

यमुनानगर और पलवल के मदरसों में स्वतंत्रता दिवस का समारोह एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां धर्म, जाति और समुदाय की सीमाएं मिट गईं। हजारों लोगों ने तिरंगे को सलामी दी, और बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से देशभक्ति का जश्न मनाया। इस आयोजन ने यह साबित किया कि देशभक्ति किसी धर्म या जाति की मोहताज नहीं होती। जानें इस खास उत्सव के बारे में और कैसे यह भारत की विविधता में एकता का प्रतीक बना।
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स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में देशभक्ति का अद्भुत उत्सव

यमुनानगर और पलवल में मदरसा स्वतंत्रता दिवस समारोह

स्वतंत्रता दिवस का जश्न: यमुनानगर और पलवल के मदरसों में तिरंगे को सलामी इस बार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन यमुनानगर और पलवल के मदरसों में एक विशेष तरीके से मनाया गया। देश की आज़ादी के 79वें वर्षगांठ पर इन क्षेत्रों में जो दृश्य देखने को मिला, वह भारत की विविधता में एकता का प्रतीक बन गया।


यमुनानगर के मदरसे में देशभक्ति का उत्सव


यमुनानगर के ताहरपुर गांव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। हजारों लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और तिरंगे को सलामी दी। बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल को देशभक्ति से भर दिया। गांव के सरपंच श्याम सिंह और जिला परिषद सदस्य अहमद ने ध्वजारोहण किया और उपस्थित लोगों को एकता का संदेश दिया।


इस आयोजन में धर्म, जाति और समुदाय की सीमाएं मिटती नजर आईं। हर वर्ग के लोग एक साथ खड़े होकर तिरंगे को सम्मान दे रहे थे। यह दृश्य भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक बन गया।


पलवल के मदरसे में बच्चों की देशभक्ति


पलवल के नुसरत इस्लामिया मदरसे में भी स्वतंत्रता दिवस का उत्सव बड़े ही जोश और गर्मजोशी के साथ मनाया गया। छोटे-छोटे बच्चों ने हाथों में तिरंगा लेकर 'भारत माता की जय' के नारे लगाए और देश के प्रति अपना प्रेम दर्शाया। इस आयोजन में बच्चों की मासूम देशभक्ति ने सभी का दिल जीत लिया।


यहां भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने लोगों को भावुक कर दिया। बच्चों ने नृत्य, कविता और देशभक्ति गीतों के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।


एकता का संदेश और ऐतिहासिक जुड़ाव


इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने जिला स्तरीय कार्यक्रम में भाग लिया और कहा कि आज़ादी की पहली चिंगारी 1857 में अंबाला से फूटी थी। उनका यह वक्तव्य लोगों को इतिहास से जोड़ने वाला था। उन्होंने भारत की विविधता में एकता का संदेश देते हुए कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है।


इन आयोजनों ने यह साबित कर दिया कि स्वतंत्रता दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक भावना है जो हर दिल में बसती है। मदरसों में हुए इन कार्यक्रमों ने यह दिखाया कि देशभक्ति किसी धर्म या जाति की मोहताज नहीं होती।