स्वामी विवेकानंद का संदेश: लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जागरूकता और मेहनत
स्वामी विवेकानंद का दृष्टिकोण
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति जागरूकता का महत्व बताया। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे उठें और जागें। ये शब्द केवल शारीरिक जागरण का संकेत नहीं हैं, बल्कि अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत रहने का भी संदेश देते हैं। हम हर दिन उठते हैं, लेकिन क्या हम अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत हैं? अक्सर हम आलस्य और अज्ञानता में डूबे रहते हैं, जिससे हम अपने लक्ष्यों से दूर हो जाते हैं।लक्ष्य की पहचान करना आवश्यक है। पहला लक्ष्य है अपनी आवश्यकताओं और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए मेहनत करना, जबकि दूसरा और महत्वपूर्ण लक्ष्य है अपने आप को जानना। लोग पहले लक्ष्य में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे अपने आत्मज्ञान की ओर नहीं बढ़ पाते। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि हमें उठना चाहिए, जागना चाहिए और तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते।
अपने जीवन का उद्देश्य जानना आवश्यक है। इसे जानने के लिए, हमें अपने भीतर झांकना होगा। जो व्यक्ति स्वयं को जानता है, वह ईश्वर को भी जानता है, क्योंकि ईश्वर हमारे अंदर है। यह पहचान हमें विश्वास दिलाती है कि संसार में कोई भेदभाव नहीं है। जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में सर्वधर्म सम्मेलन में सभी को संबोधित किया, तो वहां 'हम सब एक हैं' का संदेश गूंजा, जो हर धर्म की मूल शिक्षा है।